जीते जी लिया था देहदान का संकल्प, एनाटॉमी विभाग को सौंपी देह
जीते जी लिया था देहदान का संकल्प, एनाटॉमी विभाग को सौंपी देह
जीते जी लिया था देहदान का संकल्प, एनाटॉमी विभाग को सौंपी देह
जबलपुर।देहदान एक ऐसा महान कार्य है जिसमें व्यक्ति अपने शरीर को चिकित्सा विज्ञान और मानवता की सेवा में समर्पित करता है। बुधवार को जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस चिकित्सा महाविद्यालय में सिहोरा तहसील के अगरिया ग्राम निवासी 93 वर्षीय शांति दासी का देहदान संपन्न हुआ। मृतका शांति दासी के तीनों पुत्र धनीराम दास, रमेश दास और राजकुमार दास और परिवार के सभी सदस्यों की संपूर्ण स्वीकृति से देहदान हुआ। शांति दासी जी के बड़े पुत्र धनीराम दास जी ने बताया कि देहदान के अद्भुत समाज सेवी कार्य की प्रेरणा उन्हें उनके गुरुदेव जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से मिली है। इस दौरान एनाटामी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एन एल अग्रवाल और डॉ. राजेंद्र कुशवाहा जी डॉ अमरीश तिवारी ने बताया कि किस प्रकार देहदान न केवल मेडिकल छात्रों को शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करता है। बल्कि जरूरतमंद लोगों को नए अंग भी दान करता है। देहदान के माध्यम से एक व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद भी जीवन का योगदान दे सकता है। यह परोपकार का सबसे उच्च स्तर है जो मानवीय करुणा और निःस्वार्थता को दर्शाता है। हर देहदान एक नए जीवन की उम्मीद जगाता है संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयाई का यह कार्य बहुत ही सराहनीय