निरंकारी मण्डल की ब्रांच जबलपुर में मनाया गया

"भक्ति पर्व"

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निरंकारी मण्डल की ब्रांच जबलपुर में मनाया गया

“भक्ति पर्व”

परमात्मा से जुडाव ही सच्ची भक्ति का आधार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

जबलपुर, 12 जनवरी 2025: “भक्ति वह अवस्था है”, जो जीवन को दिव्यता और आनंद से भर देती है। यह न इच्छाओं का सौदा है न स्वार्थ का माध्यम। “सच्ची भक्ति का अर्थ है परमत्मा से गहरा जुडाव और निस्वार्थ प्रेम।” यह प्रेरणा दायक विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने हरियाणा स्थित संत निरंकारी अध्यात्मिक स्थल समालखा में आयोजित भक्ति पर्व समागम के अवसर पर विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। इस पावन अवसर पर परम संत संतोख सिंह जी के अतिरिक्त अन्य संतो के तप त्याग और ब्रह्न ज्ञान के प्रचार प्रसार में उनके अमूल्य योगदान को स्मरण किया गया।

सतगुरु माता जी ने भक्ति का उल्लेख करते हुए कहा गया की भक्ति का वास्तविक स्वरुप दिखावे से परे स्वार्थ व लालच से मुक्त होना चाहिए जैसे दूध में नीबू डालने से वह फट जाता है वैसे ही भक्ति में लालच और स्वार्थ हो तो अपनी पवित्रता खो देती है। सतगुरु माता जी ने उदाहरण देते हुए कहा की भगवान हनुमान जी, मीराबाई और बुद्ध भगवान का भक्ति स्वरुप भले ही अलग था लेकिन उनका मर्म एक ही था परमात्मा से अटूट जुड़ाव ।

भक्ति पर्व – निरंकारी मिशन द्वारा सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं परम आदरणीय निरंकारी राज पिता रमित जी की कृपा से सम्पूर्ण भारत वर्ष में 12 जनवरी 2025 को निरंकारी मंडल की सभी शाखाओं में मनाया गया।

जबलपुर संत निरंकारी सत्संग भवन, गोल बाज़ार में भी “भक्ति पर्व” ज्ञान प्रचारक भोपाल से आये ज़ोनल

इंचार्ज परम आदरणीय अशोक जुनेजा जी के पावन सानिध्य में विशाल रूप से उत्साह पूर्वक मनाया गया। आप जी ने उपस्थित समस्त सर्व साध संगत को अपने उद्बोधन में अह्वान किया कि परम पिता परमात्मा कण-कण में है कोई भी कार्य प्रभु को अपनी चेतनता में रख कर किया गया कार्य जीवन का उत्सव बन जाता है। पल पल प्रभु से जुडाव ही सच्ची भक्ति है।

भक्ति पर्व समागम अनेक वक्ताओं ने विचारों और गीतों द्वारा वातावरण को पूर्ण रूप से भक्तिमय कर दिया जिससे अध्यात्मिक आनंद की दिव्य अनुभूति प्राप्त हो रही थी। जिसमे निरंकारी माता सविन्दर जी, राज माता जी, के जीवन की भक्तिमय जीवन को याद कर उनके जीवन से प्रेरणा ली गई।

अंत में परम आदरणीय नवनीत नागपाल जी ने भोपाल से आये हुए महामा व सर्व साध संगत का सुकराना करते हुए कहा की निरंकार कृपा करे कि हम सभी इन संतो जैसा जीवन जीकर श्रेष्ट उदाहरण प्रस्तुत करें।

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