सैकड़ों की तादाद में चल रहे ‘हॉस्टल’ रिकॉर्ड में गिनती के दर्ज

सर्वे करने की अधिकारियों को फुर्सत नहीं, सिर्फ किराएदारों का मांगते हैं वेरीफिकेशन

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सैकड़ों की तादाद में चल रहे ‘हॉस्टल’ रिकॉर्ड में गिनती के दर्ज
सर्वे करने की अधिकारियों को फुर्सत नहीं, सिर्फ किराएदारों का मांगते हैं वेरीफिकेशन
जबलपुर– शहर के अंदर सैकड़ो की तादाद में सालों से हॉस्टल संचालित होते आ रहे हैं। लेकिन हैरत की बात है कि शायद ही कभी निगम के अधिकारियों ने इनका सर्वे किया हो। इतना ही नहीं रिकॉर्ड की अगर बात की जाए तो इनकी संख्या गिनती में दर्ज है। जबकि दूसरी तरफ कुछ महीने पहले यह फरमान जारी हुआ था कि किराएदारों का वेरिफिकेशन किया जाए और पुलिस को खबर की जाए। घरों में अगर कोई आकर रहता है तो वह किराएदार है तो इन हॉस्टल में रहने वाले क्या है। और इनका वेरिफिकेशन क्या नहीं होना चाहिए। और अगर इनका वेरीफिकेशन ना भी हो तो कम से कम रिकॉर्ड में तो दर्ज होना चाहिए की किस क्षेत्र में कितने हॉस्टल चल रहे हैं और कौन संचालित कर रहा है। इससे निगम की आय भी बढ़ जाएगी और दर्ज संख्या भी सही हो जाएगी।
शहर के राइट टाउन और नेपियर टाउन क्षेत्र तो लगभग लगभग हॉस्टल हब में बदल चुके हैं। इन क्षेत्र के घरों में लगभग हर दूसरे तीसरे घरों में हॉस्टल संचालित हो रहे हैं। अगर कुछ एक को छोड़ भी दिया जाए तो बाकी निगम की रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं है। वही किराएदारों को रखने पर निगम के राजस्व विभाग ने मकान मालिकों पर नजर तिरछी कर कमर्शियल टैक्स वसूलना शुरू कर दिया है लेकिन निगम में तूने फरवरी माह में सभी संभागीय अधिकारियों को शहर में संचालित हॉस्टलों का सर्वे करने की जो निर्देश दिए थे उसे भी यहां के अधिकारियों में कोई महत्व नहीं दिया। इससे एक तरफ निगम को राजस्व का चुनाव तो लग ही रहा है आश्चर्य की बात तो यह है कि निगम के अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी है लेकिन आज तक इस बात के सर्वे ही नहीं हुई कि शहर में कुल कितने भवन ऐसे हैं जो रह वास अनुमति के बाद हॉस्टल में परिवर्तित हो गए हैं। निगम के ही खास सूत्रों का कहना है कि अगर अधिकारी इस तरफ जरा भी गंभीरता दिखाएं तो इन सभी हॉस्टल से कमर्शियल टैक्स वसूलना शुरू हो जाएगा और निगम को फायदा भी होगा।
इन क्षेत्र में संचालित है हॉस्टल शहर में अनेकों जगह हॉस्टल संचालित हो रहे हैं। जिनमें राइट टाउन नेपियर टाउन के अलावा रानीताल, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, चेरी ताल वार्ड , महाराजा अग्रसेन, सुभद्रा कुमारी चौहान वार्ड, नवीन विद्या भवन के आसपास का क्षेत्र भी विशेष रूप से शामिल है। यहां पर भी कई सारे हॉस्टल सालों से संचालित होते आ रहे हैं।
सारे नियम किनारे सैकड़ो की तादाद में संचालित हो रहे इन हॉस्टलों में कुछ एक को छोड़ दिया जाए तो बाकी कहीं पर कोई नियम कायदे दिखाई नहीं पड़ते। वहां पर ना तो फायर सिस्टम लगाए गए हैं, और ना ही दुर्घटना से बचाव की कोई साधन है। इन सब की जांच करने वाला भी शायद कोई ना हो। लोगों ने अपने हिसाब से अपने-अपने घरों में छोटे-छोटे कमरे बनवाकर उसे हॉस्टल का रूप दे दिया है और बड़ी ही दबंगता से संचालित करते आ रहे हैं।
जानकारी है पर दर्ज नहीं निगम के राजस्व विभाग में कार्यरत टैक्स कलेक्टरों को एक-एक वार्ड की जिम्मेदारी दी जाती है ताकि वे वहां पर निगरानी रखकर टैक्स वसूली का काम कर सके। इससे यह साबित होता है कि जिन क्षेत्रों में भी हॉस्टल संचालित हो रहे हैं वहां के टैक्स कलेक्टर को पूरी जानकारी है लेकिन बावजूद यह हॉस्टल निगम के रिकॉर्ड में जितने चल रहे हैं उतने दर्ज आज भी नहीं है। और इसीलिए निगम को हर साल करोड़ों का चूना लग रहा है लेकिन हॉस्टल संचालक तो मोटी कमाई करते आ रहे हैं।

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