दिव्यांग बच्चों के संरक्षण पर 02 दिवसीय (3 और 4 अगस्त) राज्य स्तरीय परामर्श

इस अवसर पर माननीय न्यायमूर्ति ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक समाज के रूप में यह बहुत जरूरी है

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माननीय न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिव्यांग बच्चों के संरक्षण पर 02 दिवसीय (3 और 4 अगस्त) राज्य स्तरीय परामर्श ‘‘संवाद‘‘ का ऑनलाइन उद्घाटन माननीय न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी, अध्यक्ष, पोक्सो समिति, माननीय न्यायमूर्ति आनंद पाठक, अध्यक्ष, किशोर न्याय समिति, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति में किया। राज्य स्तरीय परामर्श ‘‘संवाद‘‘ का आयोजन संयुक्त रूप से किशोर न्याय समिति, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, म.प्र. राज्य न्यायिक अकादमी, जबलपुर, मध्य प्रदेश सरकार और यूनिसेफ, भोपाल द्वारा एम.पी. राज्य न्यायिक अकादमी, जबलपुर आयोजित किया जा रहा है। परामर्श का उद्देश्य दिव्यांग बच्चों से संबंधित मुद्दों की गहन समझ विकसित करना और कानून के साथ संघर्षरत बच्चों के लिए बेहतर सेवाओं की दिशा में हुई प्रगति की संयुक्त रूप से समीक्षा करना है (विमर्श 2023)।
इस अवसर पर माननीय न्यायमूर्ति ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक समाज के रूप में यह बहुत जरूरी है कि हम दिव्यांग बच्चों को संपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए उठाए गए कदमों का विश्लेषण और आत्मनिरीक्षण करते रहें ताकि वे अपनी अधिकतम क्षमता तक पहुँच सकें। दिव्यांग बच्चों को उचित पोषण के साथ-साथ चिकित्सा सहायता, विशेष शैक्षिक प्रशिक्षण, दुभाषिए और अक्सर विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है जो उन्हें अपने दैनिक दिनचर्या को पूरा करने में सक्षम बनाते हैं। इसे प्राप्त करने के लिए भावनात्मक, शारीरिक और वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है।
माननीय न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि दिव्यांग बच्चों के साथ काम करते समय, चाहे हम किसी भी पद पर कार्यरत हों, हमें दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 में निहित सिद्धांतों को ध्यान में रखना होगा ताकि दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे की गरिमा को बनाए रखा जाए।
उक्त दो दिवसीय परामर्श में 3 और 4 अगस्त को कुल 6 तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे। इस परामर्श की एक बहुत ही महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमंे थीम के अनुसार, सभी सत्रों में सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ द्वारा संवाद किया जाएगा, दिव्यांग बच्चों हेतु ब्रेल लिपि में पठन सामग्री तैयार की गई है तथा म.प्र. राज्य न्यायिक अकादमी ने दिव्यांगजनों के अनुकूल शौचालय और रैम्प भी बनाए हैं । अब, सम्पूर्ण अकादमी में दिव्यांगजनों के लिए आवश्यक अनुकूल बुनियादी ढांचा उपलब्ध है।
उक्त परामर्श में न्यायाधीश, महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, यूनिसेफ और अन्य किशोर न्याय से जुड़े अधिकारी भाग ले रहे हैं। प्रतिभागियों को इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की प्रस्तुतियाँ देखने का मौका मिलेगा।
स्वागत उद्बोधन सुश्री निधि मोदिता पिंटो, उप निदेशक, म.प्र. राज्य न्यायिक अकादमी, जबलपुर ने दिया तथा परामर्श का परिचय श्री अनिल कुमार, सचिव, किशोर न्याय समिति, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने दिया। आभार प्रदर्शन श्री कृष्णमूर्ति मिश्रा निदेशक, मध्य प्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी, जबलपुर ने किया।

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