जबलपुर हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग मेंस 2023 (MPPSC) को लेकर बड़ा फैसला किया सुनाया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले पर मौखिक आदेश सुनाते हुए कहा कि प्री के दो सवाल गलत माने गए हैं। इसके आधार पर राज्य वन सेवा परीक्षा 2023 की मेंस परीक्षा (MPPSC) जो कि 30 जून को प्रस्तावित है उसकी प्री मेरिट लिस्ट को फिर से तैयार करने के आदेश दिए हैं।
आदेश पारित होने के बाद फारेस्ट सर्विस का प्री का परिणाम फिर से जारी किए जाएंगे। उम्मीदवारों की तरफ से केस लड़ रहे अंशुल तिवारी ने कहा कि हाईकोर्ट ने दो सवालों को कंसीडर किया है और पीएससी द्वारा मान्य जवाब को गलत माना है। साथ ही कोर्ट ने इसका लाभ सभी कैंडिडेट्स को देने की बात भी कही है। बाकी की जानकारी विस्तृत लिखित आर्डर कॉपी से क्लियर होगी।
हाई कोर्ट ने इन दो सवालों को पाया गलत
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग प्री (MPPSC) में 2023 प्रेस की स्वतंत्रता वाले विलियम बैंटिंक के सवाल के जबलपुर हाई कोर्ट ने गलत माना है। वहीं, कबड्डी संघ के मुख्यालय के सवाल को भी हाई कोर्ट ने गलत माना है। इन दो सवालों के आधार पर जबलपुर हाई कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बदलते हुए साफ कहा कि दो सवालों का लाभ न सिर्फ कोर्ट में आने वाले उम्मीदवारों को मिले बल्कि उन्हें भी मिले जिन्होंने इस परीक्षा को दिया था।
इससे उन उम्मीदवारों को लाभ मिलेगा जो महज दो सवालों के कारण कटऑफ (MPPSC) पर अटक गए थे, वह इसका लाभ लेने वाली सूची में आ सकते हैं। इसी आधार पर जस्टिस ने कहा कि वन सेवा क्योंकि नहीं हुई है तो इसका प्री का रिजल्ट संशोधिक किया जाए और इसी के आधार पर मेन्स भी आयोजित हो।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि राज्य सेवा मेंस 2023 हालांकि हो चुकी है इसलिए अलग आदेश नहीं हो सकता है, लेकिन इन सवालों का लाभ लेने के सभी उम्मीदवारों जो एक पर लागू वह सभी पर होगा।
फिर से करनी होगी याचिका दायर
बता दें कि कोर्ट का आदेश आने के बाद कई उम्मीदवारों (MPPSC) को इसका लाभ मिलेगा। वहीं जो कैंडिडेट्स इन सवालों के कारण कट ऑफ पर अटक गए थे, वह इसी आधार पर स्पेशल मेंस की मांग कर सकते हैं। बता दें कि साल 2019 में भी कुछ इसी तरह स्पेशल मेंस की मांग की थी।
बता दें कि तकनीकी रूप से मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट (MPPSC) के आदेश का लाभ उन उम्मीदवारों को सीधा मिलेगा, जिनके दो सवालों की वजह से अंक बढ़ेंगे और वह कटऑफ के दायरे में आ जाएंगे साथ ही उनका यह अधिकार भी बनता है कि पीएससी मेंन की परीक्षा दें।
हालांकि हाई कोर्ट ने अपने इस आदेश में इसको शामिल नहीं किया है, जिसके बाद उम्मीदवारों को अपने नंबर की गिनती स्वयं करनी होगी और फिर अलग से दूसरी याचिका दायर करनी होगी, जिसमें स्पेशल मेंस की मांग होगी।