जबलपुर,जल संरक्षण समय की मांग है, यदि इस पर गंभीरता नहीं बरती गई तो आने वाला समय भारी संकट वाला होगा। जल संरक्षण और संवर्धन सामाजिक जिम्मेदारी है। सरकार क्या कर रही है, इससे इतर ये सोचना जरूरी है कि हम क्या कर रहे हैं। ये बात द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने कही। वे दीक्षितपुरा स्थित श्री जानकी रमण मंदिर में अभिमन्यु जैन की पुस्तक ‘पानी राखिए’ के विमोचन के अवसर पर बोल थे। मंदिर पहुंचने पर शिक्षाविद और जानकी रमण के प्राचार्य अभिजात कृष्ण त्रिपाठी ने महाराजश्री का पादुका पूजन किया। पूजनोपरांत उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने बौद्ध एवं बैशाख पूर्णिमा के आध्यात्मिक महत्व
की तत्व मीमांशा की। उन्होंने कहा कि हम सभी ईश्वर का ही स्वरूप है। ब्रम्ह के अंशी होने के कारण हम सभी ब्रम्ह स्वरूप हैं। यही कारण है कि ब्रम्ह के गुण, उनके स्वभाव हमारी चेतना को आकर्षित करते हैं। वस्तुतः हम उन्हीं का स्वरूप हो जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रभु की आराधना से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। महाराजश्री ने श्री जानकी रमण मंदिर के हो रहे पुनर्निर्माण को देखा एवं हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की। महाराजश्री का शरद चन्द्र पालन, चन्द्रगोपाल तिवारी, अभिमन्यु जैन, सुरेश विचित्र, प्रभात दुबे, डॉ कौशल दुबे, शक्ति मंडलोई, महाआचार्य आशुतोष दीक्षित, विधि विशेषज्ञ सम्पूर्ण तिवारी, गुरु राजेश द्विवेदी, डॉ आनंद सिंह राणा, मनोज चौरसिया, अखिलेश त्रिपाठी डॉ अनामिका सिंह श्रीमती राखी बाजपेई आदि उपस्थित रहे।