फातिमा माता मरियम की वार्षिक भक्ति का समापन

माता मरियम ने विश्व में शांति के लिए निरंतर प्रार्थना करते रहने का आह्वान किया ...बिशप वलन अरासु

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संस्कारधानी जबलपुर में सेंट थॉमस स्कूल परिसर स्थित फातिमा की माता मरियम के तीर्थस्थल में मई माह की वार्षिक भक्ति का भव्य एवं भक्तिमय समापन माता मरियम के भक्तों की विशाल भीड़ की उपस्थिति में संपन्न हुआ। नौदिवसीय प्रार्थनाओं तथा दर्शन के पर्व दिवस के उपरांत आज मई माह के अंतिम शनिवार को महापर्व दिवस के पावन ख्रीस्तयाग के मुख्य याजक जबलपुर धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष परम श्रद्धेय बिशप वलन अरासु ने भक्तजनों की विशाल उपस्थिति में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कहा…

फातिमा माता मरियम के पावन नाम पर हम सभी यहां उपस्थित हुए हैं। माता मरियम ने निर्दोष और निष्कलंक बच्चों के सामने स्वयं को प्रकट किया। उन्होंने जो बातें बच्चों से कहीं थी, संभवत वो अभी तक पूर्णता को प्राप्त नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा था विश्व में शांति के लिए प्रतिदिन प्रार्थना करें। प्रभु येसु की इच्छा थी कि हम सब के सब पिता ईश्वर में एक हो जाएं। पद, प्रतिष्ठा, पैसा और प्रभाव के लालच से जब हम दूर हो जाएंगे तो निश्चित ही हम ईश्वर में एक हो सकते हैं। माता मरियम के साथ जब प्रभु येसु सभागृह गए थे तो वहां उन्होंने धर्मग्रंथ की पुस्तक को पढ़े थे , जो यह सुनिश्चित करता है कि जहां एक या दो व्यक्ति ईश्वर के नाम पर उपस्थित होते हैं वहां ईश्वर उपस्थित होते हैं। आज हम अपने बच्चों के लिए शैक्षणिक पुस्तकों को ज्यादा महत्व देते हैं, लेकिन धर्मग्रंथ के बारे में हम उदासीन हो जाते हैं। इसलिए हम शांति से वंचित हो रहे हैं। हम में से कुछ लोग स्वयं की प्रार्थना से संतुष्ट हो जाते हैं और सोचते हैं कि हम स्वर्ग राज्य के भागी हो जायेंगे। लेकिन प्रभु येसु अपने साथ योहन और याकूब के साथ प्रार्थना करते हैं। वे हमें सिखाते हैं कि हम सब एक होकर प्रार्थना करें। विश्व में शांति नहीं है उसके लिए हम सब जिम्मेदार हैं, क्योंकि हम फातिमा माता मरियम की इच्छा और उनके स्वपन के अनुसार कार्य करने में विफल हो रहे हैं। हमे अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए भुनभुनाना और कुडकुडाना नहीं है, वरन ईश्वर में आस्था और विश्वास रखना है। माता मरियम के जीवन में पवित्रता थी, शांति थी इसलिए माता मरियम ईश्वर की शरण में रहकर उनकी स्तुति, प्रशंसा तथा महिमा के गीत गाते हुए पवित्रता का जीवन व्यतीत करती थी। यदि हम भी पवित्र बनकर किसी के निवास पर जाते हैं तो उस परिवार पर ईश्वर का आशीर्वाद ठहरता है। हमें अपने ईश्वर को तन मन से प्यार करना है। क्योंकि माता मरियम ने भी ईश्वर को प्यार किया और उनकी हर इच्छाओं का पालन किया। हमें अपनी जिह्वा पर लगाम लगाने की आवश्यकता है। ताकि माता मरियम की भांति हम ईमानदार और विनम्र बन सकें और शांति का वातावरण निर्मित कर सकें।जब हम अपने मध्य एक दूसरे से प्रेम,सेवा और शांति का वातावरण निर्मित करने का प्रयत्न करेंगे तो ही हम विश्व शांति के प्रणेता बन सकते हैं, जो कि फातिमा माता मरियम की इच्छा और स्वप्न रहा है।
माता मरियम के तीर्थस्थल की बेहद ही आकर्षक एवं नयनाभिराम साज सजावट की गई है। माता मरियम के भक्तजन पवित्र तीर्थस्थल में महापर्व के अवसर पर विशाल संख्या में उपस्थित होकर मोमबत्ती जलाकर एवं पुष्पों को अर्पित कर के अपनी मन्नतें मांगते हुए प्रार्थना में लीन थे। महापर्व दिवस के अवसर पर उपस्थित लगभग 5000 से भी अधिक सभी भक्तों के लिए प्रीतिभोज का भी आयोजन किया गया था।
श्राइन प्रबंधन के चैपलिन फादर रंजीत लकरा ने माता मरियम के भक्तजनो को मई माह की भक्ति की तथा महापर्व दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की है।

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