नगर निगम जबलपुर द्वारा महापौर जगत बहादुर सिंह ‘‘अन्नू’’ की पहल पर
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का हुआ भव्य आयोजन
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का हुआ भव्य आयोजन
कवियों ने श्रोताओं का खूब किया मनोरंजन, आनंदित हुए लोग
कवियों की एक-एक पंक्ति पर मानस भवन के हॉल से आई वाह-वाह की आवाज, श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से कवियों का किया सम्मान
नगर निगम में पूर्व से चली आ रही परम्परा का किया निर्वहन – महापौर
जबलपुर। महापौर जगत बहादुर सिंह ‘‘अन्नू’’ की पहल पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन संस्कारधानी के मानस भवन प्रेक्षागृह में आयोजित हुआ। जिसमें आगरा, इटावा, मैनपुरी, ललितपुर, शाजापुर, मांडवा, एवं जबलपुर के कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं का खूब किया मनोरंजन, आनंदित हुए लोग, कवियों की एक-एक पंक्ति पर श्रोताओं ने कवियों का तालियों की गड़गड़ाहट से किया सम्मान।
बता दे की कवियों ने वीर, प्रेम, श्रंगार, हास्य के साथ अपनी रचनाओं के जरिए मौजूदा परिवेश पर प्रसंग सुनाकर उपस्थित लोगों का मनोरंजन किया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ सांसद जबलपुर आशीष दुबे की अध्यक्षता में महापौर जगत बहादुर सिंह ‘‘अन्नू’’, निगमाध्यक्ष रिकुंज विज, विधायक पाटन विधानसभा क्षेत्र अजय विश्नोई, विधायक केन्ट विधानसभा क्षेत्र अशोक ईश्वरदास रोहाणी, विधायक पनागर विधानसभा क्षेत्र सुशील तिवारी इन्दू, विधायक बरगी विधानसभा क्षेत्र नीरज सिंह लोधी, विधायक उत्तर विधानसभा क्षेत्र डॉं. अभिलाष पाण्डेय, विधायक सिहोरा विधानसभा क्षेत्र संतोष बरकड़े, समस्त एम.आई.सी. सदस्य एवं समस्त पार्षदगण आदि ने मां सरस्वती प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन के साथ किया।
नवरंग कत्थक कला केंद्र के कलाकार मोती शिवहरे ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इस मौके पर नगर के प्रथम नागरिक महापौर जगत बहादुर सिंह ‘‘अन्नू’’ ने हॉल में उपस्थित सभी गणमानजनों के साथ-साथ मंच पर उपस्थित सभी समम्ननीय कविजनों का हृदय से स्वागत करते हुए संस्कारधानी में उनका अभिनंदन किया और कवि सम्मलेन को सफल बनाने के लिए संस्कारधानी के सभी नागरिकों प्रति स्वागत उद्बोधन के दौरान आभार प्रकट किया। इसके उपरांत नवनिर्वाचित जबलपुर के सांसद आशीष दुबे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की महापौर जगत बहादुर सिंह ‘‘अन्नू‘‘ की इस पहल से आज पूरी संस्कारधानी आनंदित हे इस महाकवि सम्मेलन से हम सभी को दौड़ भाग की जिन्दगी में मनोरंजन के साथ सुकून के पल मिले है जो अपने आप में अदभुत और सराहनीय है।
उक्त के बाद आगरा से आईं कोकिल कंठी कवयित्री डॉक्टर रुचि चतुर्वेदी ने बेहतरीन तरन्नुम के साथ कविता में प्रेम और ब्रज को परिभाषित किया। उन्होंने कहा पुण्य चरणों की रज हो गया। भावनाओं का ध्वज हो गया। कृष्ण राधा हुए एक यों, प्रेम का नाम ब्रज हो गया।, इटावा से आए अग्निधर्मा कवि राम भदावर ने कविता में तार्किक समावेश करते हुए देर तक श्रोताओं को बांधे रखा। उन्होंने कहा जिनकी धड़कन में कुलाँचे देश मारेगा नहीं, वह कभी खुदको किसी रण में उतारेगा नहीं।, मैनपुरी से आए गीतकार सतीश मधुप ने तिरंगे का मान बढ़ाते हुए श्रोताओं का मन मोह लिया उन्होंने कहा केसरिया पावक सा पावन, अग्नि नहीं फूंकने देना। हरा रंग हरियाली वाला, चक्र नहीं रुकने देना। मां की चादर श्वेत वर्ण की, इस पर दाग न लग जाए, मंदिर मस्जिद के झगड़े में, झंडा मत झुकने देना। ललितपुर से पधारे इंद्रधनुषी रचनाकार पंकज अंगार ने विभिन्न रसों में काव्य पाठ करते हुए भारतीय नारी के त्याग पर कविता पढ़कर वाह वाही लूटी उन्होंने कहा बहिन राखी के धागों के सभी दस्तूर दे आई। कि इक मां अपनी आंखों का चमकता नूर दे आई। जरा सी कम नजर आई वतन के भाल पर लाली। सुहागिन झट से अपनी मांग का सिंदूर दे आई। शाजापुर के दिनेश देशी घी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया। मांडव से पधारे गीतकार पंकज प्रसून ने राष्ट्र भक्ति से भाव विभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि वतन पे मरने की औकात नहीं चाह मगर। तिरंगा ओढ़ूँ तन से जाये जब ये जान मेरी। एवं पारिवारिक और सामाजिक मसलों पर करारी चोट करने वाले जबलपुर की शान सूरज राय सूरज ने भाइयों के बीच भ्रम की स्थिति से पर्दा उठाया तो लोग वाह वाह करने लगे। उन्होंने कहा रोज कहते रहे वो अपनी कमाई मुझको, सामने उनके खुदाई भी न भाई मुझको, दोस्तो ने मेरी दोनो निकाल लीं आंखें, तब कहीं जाके दिया साफ दिखाई मुझको। कवियों ने अपनी- अपनी रचनाओं को सुनाकर लोगों मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सतीश मधुप ने किया एवं कवियों और श्रोताओं का आभार प्रदर्शन अध्यक्ष रिंकू विज द्वारा ने किया।