फिल्मों में Vidyut Jammwal करते हैं असली एक्शन…

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मुंबई। जब किसी शो या विज्ञापन में खतरनाक स्टंट्स किए जाते हैं, तो उनके साथ एक चेतावनी जरूर लिख दी जाती है कि इसे घर पर ना करें, क्योंकि यह प्रशिक्षकों की देखरेख में किया गया है। बात करें अगर अभिनेता विद्युत जामवाल की तो वह एक्शन में माहिर हैं। अक्सर इंस्टाग्राम पर वो वर्कआउट करते हुए या फिर नए-नए स्टंट्स के वीडियो साझा करते रहते हैं।

इसलिए स्टंट करते समय नहीं देते कोई वॉर्निंग

इन वीडियोज के साथ विद्युत यह नहीं लिखते हैं कि इसे घर पर ना करें, बल्कि वो लिखते हैं कि ‘ट्रेन लाइक विद्युत’ यानी विद्युत की तरह खुद को प्रशिक्षित करें। इसकी वजह बताते हुए विद्युत कहते हैं, “आज के युवा बहुत स्मार्ट हैं। मैं ऐसा इसलिए लिखता हूं कि क्योंकि बिना ट्रेनिंग के वैसे भी कोई स्टंट नहीं किया जा सकता है, खासकर जहां पर जोखिम ज्यादा हो। जोखिम वाले स्टंट में कुछ भी बिना ट्रेनिंग के करना मूर्खता है। मैं कभी लोगों को सीधे स्टंट करने की सलाह नहीं देता हूं, बल्कि मैं उन्हें अपनी तरह प्रशिक्षण लेने के लिए कहता हूं।”

घूमने के शौकीन हैं विद्युत जामवाल

विद्युत केवल शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य में भी यकीन रखते हैं। वह हर साल 15-20 दिन का समय निकालकर शहर से दूर चले जाते हैं और अकेले खुद के साथ समय बिताते हैं। इसकी शुरुआत कहां से हुई? इसके जवाब में वह कहते है, “सच बताऊं, तो यह कहना मुश्किल है कि शुरुआत कहां से हुई, लेकिन मुझे यह करना पसंद है। पापा आर्मी में रहे हैं। उनकी अलग-अलग जगह पोस्टिंग होती थी। माता-पिता के साथ रेलगाड़ी में बहुत घूमा हूं।”

विद्युत जामवाल ने कहा, “हिंदुस्तान देखने का मौका मिला। कम उम्र में ही समझ आ गया था कि यह भी किसी पढ़ाई से कम नहीं। ट्रैवलिंग में भी सिखाने की क्षमता है। लोग पूछते हैं कि अकेले कैसे रह लेते हो? मैं यही कहता हूं कि मुझे अपने साथ समय बिताना बिल्कुल कठिन नहीं लगता है। अगर किसी को खुद के साथ समय बिताना कठिन लगता है, तो उसको कोई दिक्कत है। मुझे ऐसा करते हुए 14 साल हो गए हैं।”

अकेले काम करना विद्युत को है पसंद

क्रैक एक्टर ने कहा, “अकेले रहने का आनंद उठाता हूं। ऐसा करने से खुद के बारे में काफी कुछ जानने को मिलता है। यह सब मैं अपने लिए करता हूं। मेरी जिंदगी में काफी सुविधाएं हैं। गाड़ी चलाने से लेकर, हवाई जहाज टिकट खरीदने तक मैं सब कर सकता हूं, लेकिन अगर खुद को संभालना और सिखाना है, तो साल में 15-20 दिन खुद के साथ बिताना जरूरी है। वहां मैं सारे काम खुद करता हूं, यह भी एक सीख है, एक ट्रेनिंग है।”

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