शिक्षा का अधिकार एवं भारतीय संविधान
23 नवंबर 1948 को संविधान सभा में अनुच्छेद 36(वर्तमान अनुच्छेद 45 )मसौदे पर चर्चा की गई
शिक्षा एक सभ्य समाज की सारभूत आवश्यकता है 23 नवंबर 1948 को संविधान सभा में अनुच्छेद 36(वर्तमान अनुच्छेद 45 )मसौदे पर चर्चा की गई, इसमें 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया । सन 1950 में संविधान पारित किया गया एवं शिक्षा के अधिकार को राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के रूप में अनुच्छेद 45 में समाहित किया गया अनुच्छेद 45 में कहा गया है कि राज्य इस संविधान के प्रारंभ से 10 वर्ष की अवधि के भीतर 14 वर्ष की आयु पूरी करने तक सभी बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगा, यह माना गया था कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकारे संविधान के इस निर्देश को ईमानदारी से क्रियान्वित करेंगे किंतु ऐसा नहीं हुआ ,मोहिनी जैन बनाम कर्नाटक राज्य के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मूल अधिकार के रूप में प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता में निहित है शिक्षा के बिना वह अपने मूल अधिकार का ठीक ढंग से प्रयोग नहीं कर सकता बिना शिक्षा के मनुष्य मनुष्य नहीं बन सकता शिक्षा का अधिकार उसका मूल अधिकार है किंतु इस मामले में यह निर्णय नहीं किया गया था कि किस आयु तक के बालकों के लिए शिक्षा आवश्यक है उन्नीकृष्णन के मामले में यह प्रश्न पुनः न्यायालय के सामने आया उच्चतम न्यायालय ने मोहिनी जैन में दिए निर्णय को नहीं माना कि सभी नागरिकों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त है न्यायालय निर्णय दिया कि अनुच्छेद 21 में शिक्षा का अधिकार एक मूल अधिकार है किंतु उसे नीति निर्देशक तत्वों को ध्यान में रखते हुए अर्थात राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए केवल एक विशेष आयु 6 वर्ष से 14 वर्ष के बालकों के लिए ही प्रदान किया जा सकता है सन 2002 में संविधान के 86 में संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 21-क जोड़ा गया जिसके अंतर्गत शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार की संज्ञा प्रदान की गई एवं स्पष्ट प्रावधान किया गया कि राज्य ऐसी रीति से जैसा की विधि बनाकर निर्धारित करें 6 वर्ष की आयु से 14 वर्ष की आयु के सभी बालकों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए उपबंध करेगा जिसके फल स्वरुप 2009 में भारतीय संसद द्वारा निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 पारित किया गया यह अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से संपूर्ण भारत में लागू है इसमें अनुच्छेद 21 से के तहत प्रदत्त शिक्षा के महत्व के तौर तरीकों का वर्णन किया गया इस अधिनियम के पारित हो जाने के बाद भारत उन 135 देश में से एक बन गया जिसमें शिक्षा को हर बच्चे का मौलिक अधिकार बना दिया गया है (अगले शुक्रवार के अंक में निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का विश्लेषण किया जाएगा)