नोटशीट को गोपनीय बता क्यों नहीं दी आरटीआई के तहत जानकारी

जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के अग्निकांड से जुड़ा मामला, नोटिस जारी

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नोटशीट को गोपनीय बता क्यों नहीं दी आरटीआई के तहत जानकारी
जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के अग्निकांड से जुड़ा मामला, नोटिस जारी

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर राज्य सूचना आयोग के उस जवाब को चुनौती दी गई है जिसके तहत नोटशीट को गोपनीय दस्तावेज बताकर जानकारी देने से इनकार कर दिया गया। जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने राज्य सूचना आयोग के मुख्य आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। मामला जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल में घटित अग्निकांड की जाँच रिपोर्ट से जुड़ा है। जबलपुर निवासी अधिवक्ता विशाल बघेल ने याचिका में बताया कि जबलपुर में एक अगस्त 2022 को न्यू लाइफ मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल में घटित अग्निकांड की घटना में कई लोगों की जान चली गई थी। इसमें अस्पताल को लाइसेंस जारी करने में अनियमितता भी उजागर हुई थी, इसकी जाँच राज्य शासन द्वारा संभागायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर कराई गई थी। आवेदक द्वारा लोक स्वास्थ्य विभाग में आरटीआई दाखिल कर घटना की जाँच रिपोर्ट एवं सभी कार्रवाई की नोटशीट माँगी गई थी। आवेदन पर एवं प्रथम अपील पर विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई और न ही दस्तावेज उपलब्ध कराए गए। इसके बाद राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील पेश की गई। आयोग ने 15 अक्टूबर को द्वितीय अपील की सुनवाई के दौरान विभाग को आदेश दिए कि अग्निकांड की घटना की जाँच रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराई जाए। इसी के साथ आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा कि अपीलार्थी द्वारा जो नोटशीट चाही गई है वो गोपनीय दस्तावेज की श्रेणी में आती है, जिसे दिया जाना लोकहित में उचित नहीं है।आयोग के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। दलील दी गई िक किसी भी फाइल में शामिल नोटशीट उस फाइल का अभिन्न अंग होती है, जो कि सूचना का अधिकार के तहत सूचना की परिभाषा में आती है। आयोग द्वारा बिना फाइल देखे उसे गोपनीय करार दिया गया है जो कि अवैधानिक है। तर्क दिया गया िक नोटशीट से ही यह पता लगाया जा सकता है कि फाइल को कब, किस अधिकारी द्वारा लंबित रखा गया।

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