खाद- बीज की कालाबाजारी करने वालों पर लगे रासुका
भारतीय किसान संघ ने उठाई मांग, आरोप,
जबलपुर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक माह पूर्व कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को रबी सीजन में किसानों के लिए पर्याप्त खाद की आपूर्ति करने के निर्देश दिए थे। प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के चलते नकली खाद, बीज व पेस्टिसाइड के कारण प्रदेश का किसान लुट रहा है। कृषि आदान सामग्री विक्रय करने वाले खुदरा व्यापारी खुलेआम बिना मापदंड के निर्मित गुणवत्ता विहीन कृषि आदान सामग्री किसानों को खपाकर मुनाफाखोरी में लगे हैं। कृषि विभाग को इनकी जांच करने की फुर्सत तक नहीं है। जिसके कारण अन्नदाता किसान लुटने के लिये मजबूर हैं। ये आरोप लगाते हुए भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल ने बताया कि पाटन के डबल लॉक गुरूपिपरिया के प्रभारी रामदास चौकसे की कार्यप्रणाली को लेकर किसानों ने अनेक शिकायत की हैं। इसके बावजूद उसी स्थान पर लंबे समय से पदस्थ रखना कहीं न कहीं विपणन विभाग की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है। श्री पटेल ने मांग की कि नकली खाद, बीज व पेस्टिसाइड और कालाबाजारी करने वालों पर रासुका के तहत कड़ी कार्यवाही की जाए। साथ ही एक ही स्थान पर लंबे समय से पदस्थ अधिकारियों का तत्काल स्थानांतरण किया जाए।
-धड़ल्ले से बिक रहा नकली पेस्टिसाइड
पाटन के किसान सुनील पटेल ने बताया की सभी फसलों में उपयोग में आने वाला नींदा नाशक भी फसलों में काम नहीं कर रहा है। किसानों ने बताया कि बाजार में दर्जनों कंपनियों के नींदानाशक बिक रहे हैं, कौन असली है कौन नकली कुछ पता नहीं है। यही हाल कीटनाशकों का भी है। कई बार तो इनके उपयोग से किसान की फसल ही सूख जाती है। जब इसकी शिकायत कृषि विभाग के अधिकारियों से की जाती है तो सिर्फ खाना पूर्ति कर उसे बंद कर दिया जाता है, कोई सुननेवाला नहीं है।
— प्रयोगशाला है पर जांच नहीं करते
किसान संघ के प्रांत उपाध्यक्ष मोहन तिवारी ने बताया कि अधारताल में कीटनाशक गुण नियंत्रण प्रयोगशाला स्थापित हैं। जहां पर नकली खाद बीज पेस्टिसाइड आदि का परीक्षण करने की सुविधा है, फिर भी कृषि विभाग के अमले द्वारा हजारों की संख्या में जिले में मौजूद कृषि आदान सामग्री विक्रेताओं की सामग्री के सैंपलों की जांच ही नहीं की जाती है। जबकि जब खाद की सॉर्टेज होती है तो नकली सामग्री के बाजार में आने की अधिक संभावना होती है। ऐसे में विभाग को रूटीन जांच करनी चाहिए।