हजारों आँखों ने देखा पिच्छी परिवर्तन
जैन मुनि अपने साथ संयम के दो उपकरण क्रमशः पिच्छी एवं कमंडुल रखते है प्रत्येक चातुर्मास के बाद उनका परिवर्तन होकर उन्हें नवीन पिच्छी श्रावकों के द्वारा प्रदान की जाती
जबलपुर के ह्र्दयस्थल में श्री नन्हे मन्दिर जी एवं बरिया बाला मन्दिर जी में चातुर्मासरत उपाध्याय 108 विरंजनसागर जी महाराज संसघ का पिच्छी परिवर्तन बड़े उत्साह के साथ स्थानीय बोडिंग मन्दिर जी के प्रांगण में हजारों लोगों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
जैन दर्शन के अनुसार जैन मुनि अपने साथ संयम के दो उपकरण क्रमशः पिच्छी एवं कमंडुल रखते है प्रत्येक चातुर्मास के बाद उनका परिवर्तन होकर उन्हें नवीन पिच्छी श्रावकों के द्वारा प्रदान की जाती है एवं पुरानी पिच्छी ब्रह्मचर्य,संयम व अनेक जैन व्रत अंगीकार करने वाले श्रावक को प्रदान की जाती है यह कार्यक्रम बड़े गरिमापूर्ण तरह से सम्पन्न किये जाने की परंपरा हैं। इसी क्रम में आज 108 विरंजनसागर सागर जी मुनिराज संसघ 108 विशोम्य सागर,108 विनिशोध सागर,108 विश्वद्रग सागर,
जी एवं 105 आर्यिका माता विशिला मति 105 आर्यिका माता साधना मति का पिच्छी परिवर्तन भव्य परन्तु गरिमामय कार्यक्रम में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में शिवनगर में विराजे उपाध्याय 108 108 विश्रत सागर,एवं 108 निर्वेग सागर भी उपस्थित रहे।
पिच्छी परिवर्तन
पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम की विशेषता है कि अंतिम क्षणों तक यह विदित नही होता कि पिच्छी किसे प्राप्त हो रही है।
आज एक भव्य शोभायात्रा हनुमानताल बड़े मन्दिर जी से पिच्छी के साथ निकाली गई जिसमें चातुर्मास के प्रमुख पात्र रथ पर सवार थे।
ऊँठ घोड़े बेंड पार्टी से सुसज्जित
समाज श्रेष्ठीयों से सुशोभित यह शोभायात्रा हनुमान ताल से उठकर बड़े फुहारे होती हुई मालवीय चौराहा स्थित डी एन जैन बोर्डिंग प्रांगण पहुँची ।
अब शुरु हुआ महाराज श्री को पिच्छी अर्पण का कार्यक्रम तो धर्मप्रेमियों ने प्रत्येक प्रांत ,जैसे गुजरात,महाराष्ट्र,मप्र की झांकियों में बेषभूषा के साथ रथ पर पिच्छी लेकर उपाध्याय श्री को नई पिछियाँ अर्पित की एवं संघ की पुरानी पिच्छी प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त किया, 108 विशोम्य सागर जी की पिच्छी श्रीमती राजश्री सुनील,बसंत गढावाल परिवार को, 108 विनिशोध सागर महाराज की पिच्छी श्रीमती कांता रतनचंद, लालू चाँवल वाला परिवार 108 विश्वद्रग सागर की पिच्छी श्रीमती सुगंधि देवकुमार आनंद कुमार उजियामुरी परिवार,105 आर्यिका माता विशिला मति माताजी की पिच्छी पंडित अरविंद कुमार जैन बाजनामठ, एवं 105 आर्यिका माता साधनामति की पिच्छी, ममता अशोक जैन पंडित जी को प्राप्त हुई, अब हजारों आँखे एवं कान उस क्षण की प्रतीक्षा कर रहे थे कि बड़े महाराज 108 उपाध्याय, विरंजनसागर सागर जी मुनिराज की पिच्छी का तो वह प्राप्त हुई चतुर्मास की अध्यक्ष श्रीमती निधि सुनील तार बाबू परिवार को।
इस तरह अत्यंत गरिमामयी एवं भव्य स्वरूप में यह पिच्छी परिवर्तन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
पिच्छी क्यों बदली जाती है।
जैनदर्शन के अनुसार जैन मुनि सिर्फ दो उपकरण एक पिच्छी एवं एक कमंडल ही अपने साथ आयुपर्यन्त रख सकता है प्रत्येक वर्ष अत्यंत मृदु मोरपंख से निर्मित पिच्छी उपयोग करते करते कड़ी हो जाती है जिससे जीव हिंसा या की जीवों को कष्ट हो सकता है अतः जैन मुनि प्रत्येक वर्ष पिच्छी परिवर्तन करते है।