अजब टेंडर…बाजार से ज्यादा दाम में रोवर मशीनें खरीदने की तैयारी
जिला प्रशासन ने जेम पोर्टल पर 12 रोवर मशीनों के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ाई
अजब टेंडर…बाजार से ज्यादा दाम में रोवर मशीनें खरीदने की तैयारी
जिला प्रशासन ने जेम पोर्टल पर 12 रोवर मशीनों के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ाई, एक मशीन के रेट में तीन से चार लाख का फर्क, सरकारी खजाने को 40 लाख की सीधी चपत तय,अफसर बोले,जो प्रक्रिया है,उसका पालन किया
विवेक उपाध्याय
जबलपुर। जिला प्रशासन द्वारा रोवर मशीनों की खरीदी प्रक्रिया जारी है,लेकिन इसकी शुुरुआत ही शिकायतों और विवादों से हो चुकी है। शिकायत है कि जो रोवर मशीनें खुले बाजार में कम दाम में मिल रही हैं, वही मशीन जिला प्रशासन जेम पोर्टल के माध्यम से ज्यादा दाम देकर खरीद रहा है। इस आशय की शिकायत लोकायुक्त और कलेक्टर कार्यालय में की गयी है। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने जेम पोर्टल की प्रक्रिया का अक्षरश: पालन किया है। इन सबके बीच माना जा रहा है कि यदि इसी प्रक्रिया से खरीदी हुई तो सरकारी खजाने से करीब 40 लाख रुपये का अतिरिक्त और बेवजह भुगतान हो जाएगा। इसी ऊहापोह का नतीजा है कि टेंडर प्रक्रिया कंपलीट हो जाने के बाद भी इसे जहां के तहां रोक दिया गया है।
-कितनी मशीनें चाहिए
जिला प्रशासन ने 12 रोवर मशीनों के लिए पोर्टल पर टेंडर बुलाए हैं। शिकायत के अनुसार, एक मशीन के दाम में करीब साढ़े तीन लाख का फर्क यानी 12 मशीनों का खरीदने में 40 लाख रुपये से ज्यादा का अंतर आ जाएगा। ये मशीनें राजस्व अमला सीमांकन करने में इस्तेमाल करेगा।
-टेंडर की स्थिति क्या है
जेम पोर्टल में जिला प्रशासन द्वारा टेंडर कॉल किया गया,जिसमें तीन कंपनियों ने भाग लिया। पहली कंपनी है एमको सॉल्युशंस। इसने एक मशीन के लिए 9 लाख 99 हजार 2 सौ 7 रुपए,दूसरी कंपनी एपीएस टेक्नोलॉजिस ने 10 लाख 71 हजार 4 सौ 40 रुपये एवं तीसरी कंपनी स्किपर टेक्नोलॉजिस इंडिया ने 5 लाख 70 हजार रुपये की बोली पेश की है। शिकायत की गयी है कि एमको ने जिस मशीन की कीमत करीब 10 लाख प्रस्तुत की है,उसकी बाजार में कीमत 6 लाख 50 हजार है। यानी तीन लाख से ज्यादा का फर्क है। दूसरी कंपनी एपीएस की बोली में भी करीब चार लाख का अंतर है।
-तीसरी कंपनी ने की शिकायत
खरीदी प्रक्रिया में शामिल हुई तीसरी कंपनी स्किपर के संचालक संतोष
कुमार ने शिकायत की, कि केवल उनकी कंपनी ने ही बोली में बाजार मूल्य को ध्यान में रखते हुये दाम नियंत्रित करते हुये प्रस्तुत किए, जबकि अन्य दो कंपनियों ने बाजार मूल्य को नजरअंदाज किया। तीसरी कंपनी को तकनीकी कारणों से बोली से बाहर कर दिया गया है।
-ऐसे समझिए सीधा फर्क
यदि सामान्य व्यक्ति रोवर मशीन खरीदना चाहे तो उसे करीब 6 लाख रुपये में मशीन आसानी से उपलब्ध हो जाएगी,लेकिन यही मशीन जिला प्रशासन के अधिकारी द्वारा लंबी प्रक्रिया के बाद औसतन तीन लाख रुपए ज्यादा में खरीदने की तैयारी कर चुके हैं। टेंडर बुलाए ही इसलिए जाते हैं ताकि कम से कम दाम पर सामान उपलब्ध हो।
-रेट फिक्स नहीं किए जाते
जेम पोर्टल में ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है,जिससे किसी सामान के दाम तय करके डाले जाते हों। किसी भी सामग्री के लिए जो कम बोली पेश करेगा,उसे ही टेंडर दे दिया जाएगा। ऐसे में आशंका है कि वेंडर सिंडीकेट बनाकर आसानी से पोर्टल की ऑनलाइन प्रक्रिया को चकमा दे सकते हैं या दे रहे हों। यदि जांच की जाए तो ऐसे कई खेल इस पोर्टल पर हो चुके होंगे,जब बाजार मूल्य से ज्यादा कीमत पर सामान की खरीदारी की गयी हो।
-वर्जन
प्रक्रिया का पूरा पालन,पारदर्शिता रखी
रोवर मशीनों की खरीदारी के लिए पोर्टल की तय प्रक्रिया का अक्षरश: पालन किया गया है। पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा गया है। जिस कंपनी को टेंडर से बाहर किया गया है,उसके तकनीकी आधार हैं। बाजार में मशीन के दाम कितने हैं,ये पोर्टल की प्रक्रिया पर लागू नहीं होते। दाम तय करने की कोई व्यवस्था नहीं है।
-दीपक सक्सेना, कलेक्टर
-सरकार को आर्थिक चोट
बाजार के दामों से ज्यादा रेट में मशीनें खरीदने से सरकार को आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है। हमारी कंपनी तकनीकी आधार पर रिजेक्ट हो गयी है,इससे मैं सहमत हूं, लेकिन दामों को लेकर प्रक्रिया में बदलाव किया जाना चाहिए।
संतोष कुमार,संचालक, स्किपर टेक्नोलॉजिस, इंडिया