रानी ताल चौराहा: यहां भी होने लगी ई रिक्शा की धमा चौकड़ी

यहीं से सवारी भरने के कारण रोज लगता है जाम

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रानी ताल चौराहा: यहां भी होने लगी ई रिक्शा की धमा चौकड़ी
यहीं से सवारी भरने के कारण रोज लगता है जाम

जबलपुर– शहर के अंदर और बाहर लगातार ई रिक्शा वाले और ऑटो वाले यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए भी बै खोफ चल रहे हैं। अब इन्होंने अपना नया ठीक है रानी लाल चौक बना लिया है। इस चौक पर और यहीं पर बना रहे फ्लाईओवर के नीचे या सुबह से शाम तक धमा चौकड़ी करते हुए यहीं से सवारी भरते हैं। और इन्हीं सबके कारण दिनभर यहां पर जाम की स्थिति बनी रहतीहै। ऐसे वाहनों पर पुलिसिया शिकंजा नहीं कस पा रहा है। जबकि सड़कों पर सबसे ज्यादा नियमों की अनदेखी यही वाहन चालक करते आ रहे हैं।
पुलिस का टारगेट पर सिर्फ टू व्हीलर वाहन चालक होते हैं। इन्हें सिर्फ टू व्हीलर वालों का हेलमेट और नियमों का उल्लंघन दिखता है बाकी यह सब बिल्कुल नहीं। एक जानकारी के अनुसार ई रिक्शा और ऑटो जिनकी संख्या लगभग अब शहर में 10000 से अधिक हो गई है ऐसे वाहनों पर की गई चालानी कार्रवाई अब तक 1000 पर ही की गई है। जबकि शहर की सड़कों से लेकर चौराहों पर इनका उत्पात बदस्तूर जारी है। यह ओवरलोडिंग से लेकर बिना नंबर तक के चलते आ रहे हैं। खास तौर पर ऑटो की बात करें तो इनका पीयूसी और फिटनेस तक नहीं होता, लेकिन सेटिंग बाजी इस तरह रहती है कि इनका चलन तक नहीं बन पाता।
हर चौराहे पर जाम रानीताल चौराहे से लेकर बलदेव बाग और दमोह नगर तक हर चौराहे पर उनकी धाम चौकड़ी दिनभर होती रहती है। और जाम भी लगता है लेकिन ट्रैफिक पुलिस को यह सब बिल्कुल दिखाई नहीं देता। जबकि इन कुछ चौराहों में ट्रैफिक पुलिस वाले खड़े तो होते हैं लेकिन सिर्फ औपचारिकता के लिए। फिर चाहे यहां पर जाम लगे या कोई दुर्घटना घटी इसे इन्हें कोई लेना-देना नहीं रहता। इनकी इसी अनदेखी के कारण दिन में कई बार छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं लेकिन यह ऑटो वालों पर जरा भी नकेल नहीं कस रहे। सड़कों पर ट्रैफिक रूल तोड़ने के मामले में ई-रिक्शा ड्राइवर अब दूसरे वाहन चालकों को भी बड़ी टक्कर देने लगे।
लाइन लगाकर भर रहे सवारी यहां पर इन चौराहा पर ई रिक्शा वाले और ऑटो वाले दे धड़क और बेतरतीब कहीं पर भी खड़े होकर लाइन लगाकर सवारियां भरने में लगे रहते हैं। इससे दूसरे रास्ते से आने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है लेकिन यह सब इनसे कह कौन। ना तो जिम्मेदारों को यह सब दिखता है और ना ही इनको यह बात समझ में आती है। एक ऑटो वाले को अगर ठीक से ऑटो खड़े करने के लिए कहो तो उसके साथ 10 ऑटो वाले बहस करने को तैयार हो जाते हैं। और कई कई बार तो बात झूम झपटी तक बढ़ जाती है। और यह सब आए दिन की बात है जो शहर के सड़कों से लेकर प्रत्येक चौराहा तक में इस तरह की घटनाएं दिनभर में कई बार घटित होती रहती। लेकिन ऑटो वालों की सेटिंग बाजी के कारण परेशान तो सिर्फ निकलने वाले हो रहे हैं।

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