झूठ, दिखावा, भ्रामकता के शिकंजे में उपभोक्ता

(राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस विशेष 24 दिसंबर 2024)

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झूठ, दिखावा, भ्रामकता के शिकंजे में उपभोक्ता
(राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस विशेष 24 दिसंबर 2024)

ग्राहक धोखाधड़ी ऐसी समस्या है जिसका जाने-अनजाने में हम नित्य शिकार होते है, लेकिन बहुत बार हम जानकर भी अनसुना करते है, या ज्यादा गंभीरता नहीं दर्शाते, परंतु इसका बहुत गहरा प्रभाव होता है और जानमाल का नुकसान होकर संपूर्ण अर्थव्यवस्था प्रणाली को आघात पहुँचता है। आम इंसान के रोजमर्रा के उपयोग में आनेवाली चीज वाहन का ईंधन है। पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमत और मापन पर संदेह हमेशा आम जनता को परेशान करते हैं। अनेक पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भरवाने के बाद वहां गाड़ी के टायरों में हवा भरवाते वक्त कर्मचारी हवा चेक करने के लिए पैसे लेते हैं, जबकि पेट्रोल की कीमत में कुछ सेवाएं मुफ्त दी जाती है, जैसे – शौचालय का प्रयोग, पिने का पानी, टायरों में मुफ्त हवा, इंधन के गुणवत्ता और मात्रा की जांच, प्राथमिक चिकित्सा किट, शिकायत पुस्तिका, आपातकालीन कॉल। इन सेवाओं का चार्ज पेट्रोल विक्रेता के कमीशन में जोड़कर ही हमें पेट्रोल बेचा जाता हैं। यह सेवाएं पेट्रोल पंप पर मिलना अनिवार्य है अन्यथा ग्राहक सेवा में अवरोध निर्माण करने के लिए ऐसे पंपो के विरुद्ध शिकायत दर्ज की जा सकती है।

भारत में हर साल 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है। उपभोक्ता अधिकार अधिनियम 24 दिसंबर 1986 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था। तभी से 24 दिसंबर को “राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस” के रूप में मनाया जाता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार, प्रत्येक भारतीय उपभोक्ता को सुरक्षा, सूचना, विकल्प, कहना, शिकायत व निवारण और उपभोक्ता अधिकार शिक्षा जैसे छह अधिकार मिले हैं। हम आधुनिक दुनिया के उस पड़ाव पर आ चुके है जहां हर ओर अंधाधुंद भागदौड, प्रतिस्पर्धा, टकराव नजर आता है। उत्पादों के केवल ऊपरी आवरण को खूबसूरत बनाकर बेचने का चलन चल पड़ा है। ग्राहक भी समय और पैसों की बचत की खातिर क्वालिटी के बजाय क्वांटिटी को प्राथमिकता देता है, परंतु जो पैसे खर्च हो रहे है उस मुताबिक उत्पाद ग्राहक को मिल रहे है?

आज के समय में मिलावटखोरी और उत्पाद की निम्न गुणवत्ता अपने उच्च स्तर पर है, आज के समय में किसी भी उत्पाद की गारंटी बड़ी मुश्किल है। एक दशक पहले वाहन, यंत्र, यांत्रिक साधन, घरेलू उपकरण या उनके पार्ट्स गारंटी से ज्यादा बरसों तक चलते हमने देखा है, लेकिन अभी ऐसे कमजोर उत्पाद बन रहे है जैसे उनका कोई भविष्य ही न हो। महंगाई के हिसाब से उत्पादों के दाम तो आसमान छूते है पर गुणवत्ता के नाम पर वे कहीं नहीं टिकते, कुछ समय में ही उत्पाद भंगार बन जाते है। पहले ग्राहकों को सीमित साधनों में गुणवत्ता मिलती थी, अब मार्केट में उपलब्ध असीमित साधनों में से गुणवत्ता ढूंढने पर भी नजर नहीं आती।

देशभर में साइबर अपराध तो अभी अपने चरम पर है, रोजाना ढेरों केस देखने-सुनने को मिलते है, हमें एसएमएस द्वारा फेक वेबसाइट की लिंक भेजी जाती है, अनेक फेक कॉल, ईमेल आते है, व्हाट्सएप पर भी देश-विदेश के नये-नये नंबर से मैसेज आते है। हमारी डिजिटल गतिविधियों की जानकारी रिकॉर्ड होती है, इस डिजिटल युग में हमारी निजी जानकारी दुनियाभर में फैली है। आजकल डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं भी बहुत होने लगी है। साइबर धोखाधड़ी की घटनाओं की संख्या वित्त वर्ष 2023 में 75,800 मामलों के साथ हानि की राशि 421.4 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 2,054.6 करोड़ राशि हो गई। 2024 के पहले चार महीनों में, भारतीयों को साइबर अपराधियों के कारण 1,750 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर 740,000 शिकायतें दर्ज की गईं। 76,000 फर्जी वेबसाइटों के जरिए 8 लाख से ज्यादा लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। नए तरीकों का इस्तेमाल करने वाले स्कैमर्स के कारण ऑनलाइन धोखाधड़ी बढ़ रही है।

सभी सोशल मीडिया ने अपनी गुणवत्ता और विश्वसनीयता को बनाये रखने के लिए कड़े नियम बनाये है, फिर भी योग्य रूप से क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। बहुत बार देखा गया है कि सामान्य लोगों की अच्छी पोस्ट को स्कैम का नाम देकर उसे डिलीट किया जाता है और झूठे विज्ञापनों, अनुचित पोस्ट से सोशल मीडिया भरा रहता है। ऑनलाइन कोई भी उत्पाद खोजते समय फ्रॉड वेबसाइट भी नजर आते है, जिस पर उत्पाद की झूठी कीमत दर्शाकर ग्राहकों को खुलेआम लुटा जाता है। ऐसे झूठे ई-कॉमर्स वेबसाइट पर बैन क्यों नहीं लगता? लोग अक्सर ऐसे वेबसाइट के भ्रामक विज्ञापन और सस्ते कीमत के चलते फंस जाते हैं।

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