जबलपुर से होंगे तीन नाम, अंतिम मुहर दिल्ली में
भाजपा के जिलाध्यक्ष चुनाव को लेकर मंथन शुरु,प्रक्रिया बदलेगी ताकि मनमारी रुके,कई नेताओं और उनके अपनों को झटका
जबलपुर से होंगे तीन नाम, अंतिम मुहर दिल्ली में
भाजपा के जिलाध्यक्ष चुनाव को लेकर मंथन शुरु,प्रक्रिया बदलेगी ताकि मनमारी रुके,कई नेताओं और उनके अपनों को झटका
जबलपुर। भारतीय जनता पार्टी में अब जिला अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है। जबलपुर से तीन नाम भेजे गये हैं,लेकिन इनमें से कौन बाजी मारेगा, ये दिल्ली में ही तय होगा। तय हुआ है कि स्थानीय दिग्गजों की मनमानी रोकने के लिए अब जिला अध्यक्ष चयन प्रक्रिया में बदलाव किया जाएगा। जिला स्तर से नाम भोपाल जाएंगे और भोपाल से तीन नाम लिफाफे में बंद होकर दिल्ली रवाना होंगे। इसके बाद अंतिम निर्णय दिल्ली में लिया जाएगा।
-चयन समिति सिर्फ सुझाव देगी
राष्ट्रीय सहमंत्री शिव प्रकाश, केंद्रीय पर्यवेक्षक सरोज पांडे, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन मंत्री हितानंद की मौजूदगी में जिला अध्यक्ष चुनाव को लेकर बैठक बुलाई गई। बैठक में स्पष्ट हुआ है कि इस बार भाजपा के जिला अध्यक्षों के नाम सांसद-विधायकों की तरह दिल्ली से ही तय होंगे। मध्य प्रदेश नेतृत्व से भेजे जाने वाले तीन नामों में से अंतिम अंतिम मुहर दिल्ली से ही लगाई जाएगी। जिला अध्यक्ष को लेकर चयन समिति बंद लिफाफे में प्रदेश नेतृत्व को नामों का सुझाव देगी। सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय संगठन मध्य प्रदेश में मनमानी रोकने की दिशा में यह कार्य कर रहा है। अभी तक क्षेत्रीय क्षत्रप अपने हिसाब से जिला अध्यक्षों का चयन करते थे।
-कुछ सपने टूटे, कुछ आशाएं जागीं
यदि ये नई प्रक्रिया अमल में लाई जाती है तो उनको भारी झटका लगेगा,जो अपनी पूरी सेटिंग जमाकर बेफिक्र हो चुके थे। इन्हें नियुक्ति पत्र का बेसब्री से इंतजार था। इधर, वे थोड़ा खुश हो सकते हैं, जो ताजा दौड़ से तो बाहर चुके हैं,लेकिन नई प्रक्रिया ने एक बार फिर से उम्मीद जगा दी है। हालाकि, भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो अब तक ये भी तय नहीं है कि आखिर दौड़ में कौन-कौन हैं। माना जा रहा था कि जनवरी के पहले सप्ताह में प्रक्रिया शुरु होगी और अंत तक नाम का ऐलान कर दिया जाएगा। बदली हुई प्रक्रिया से अब ज्यादा समय लग सकता है। जानकारों का कहना है कि दिल्ली चुनाव का असर भी पड़ सकता है,जिससे और देर हो सकती है।
-जिसका वर्चस्व, उसकी मर्जी
सूत्रों के अनुसार न केवल जबलपुर,बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी बड़े नेता अपने वर्चस्व का इस्तेमाल कर ऐसे चेहरे को जिला अध्यक्ष नियुक्त कराते हैं,जो उनकी अंगुलियों पर नाचते होंं। ऐसा होने से संगठन नेताओं की मर्जी से चलता है। उम्मीद है कि नई प्रकिया से नेताओं का शिकंजा ढीला पड़ जाएगा। हालाकि, एक तरफ ये भी खतरा है कि दिल्ली में नामों का चयन होने से किसी और बड़े नेता(दिल्ली वाला) का दखल संगठन में न बढ़ जाए। संगठन के उन कार्यकर्ताओं को इससे भारी खुशी मिली है,जो अध्यक्ष के चुनाव से इसलिए नाखुश थे,क्योंकि जमीन से जुड़े चेहरों को तवज्जो नहीं दी जाती।