शिक्षक भर्ती में आरक्षण अधिनियम के उल्लंघन पर कोर्ट सख्त

हाईकोर्ट ने राज्य शासन सहित अन्य से मांगा जवाब

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जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल (Justice vivek Agarwal) व जस्टिस संजय द्विवेदी (Justice Sanjay Dviwedi) की एकलपीठों ने शिक्षक भर्ती में आरक्षण अधिनियम के उल्लंघन के आरोप संबंधी अलग-अलग याचिकाओं पर जवाब पेश करने के निर्देश अनावेदकों को दिये है। न्यायालय ने मामले में राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

याचिकाकर्ता अभ्यर्थियों की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह, पुष्पेंद्र कुमार शाह, रूप सिंह मरावी व डॉ. प्रतीक्षा सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2018 के अंतर्गत लगभग 19000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरु की गई थी। याचिकाकर्ता अंग्रेजी वर्ग, समाजशास्त्र, जीव विज्ञान व कृषि वर्ग से संबंधित हैं। आरोप है कि अभ्यर्थियों के नियुक्ति आदेश एक साथ जारी न करके टुकड़ों में जारी किए जाने का रवैया अपनाया गया। इतना ही नहीं अब तक पूरे पद भी नहीं भरे गये है। सवाल उठता है कि जब शिक्षकों के हजारों पद रिक्त हैं, तब उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को सरकार द्वारा नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है। मामले में आरोप लगाते हुए कहा गया कि आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से अपने चहेतों की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोक शिक्षण संचालनायल द्वारा मेरिट के आधार पर नियुक्ति आदेश पांच अक्टूर 2021 को जारी किया गया था। जिसमें अनेक अभ्यर्थी मेरिट के आधार पर अनारक्षित पदों पर नियुक्ति के योग्य पाए गए। इसके बावजूद मनमानी जारी है। जो कि आरक्षण के प्रविधान का उल्लंघन है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने अनावेदकों नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है

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