नाम जप से ही भगवान की प्राप्ति

- त्रिशूलभेद में श्री शिवशक्तिशतचंडी महारूद्र महायज्ञ का हुआ शुभारंभ

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नाम जप से ही भगवान की प्राप्ति
– त्रिशूलभेद में श्री शिवशक्तिशतचंडी महारूद्र महायज्ञ का हुआ शुभारंभ

जबलपुर
नर्मदा तट स्थित त्रिशूल भेद न्यू भेडाघाट मार्ग पर 9 दिवसीय शिव महापुराण कथा व महामृत्युंजय जप यज्ञ का कलश शोभायात्रा के साथ शुभारम्भ हुआ। मंत्रोच्चार एवं मां नर्मदा के जयकारों के बीच कथा व्यास डॉ. सत्येन्द्र स्वरूप व संत सेवा भारती के सान्निध्य में यात्रा निकली। मां नर्मदा पूजन के साथ भक्तों ने त्रिशूल भेद मंदिर में पिंडी रूप में विराजित ब्रम्हा विष्णु महेश भगवान की प्रतिमा का अभिषेक पूजन किया। जिसके बाद कलश यात्रा कथा स्थल पहुंची। जहां भक्तिगीतों के बीच मंडप प्रवेश हुआ।
कथा के पहले दिन कथा व्यास डॉ.सत्येन्द्र स्वरूप शास्त्री ने कहा कि महर्षि बाल्मीक, गोस्वामी तुलसीदास ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए सतगुरु की आवश्यकता बताई है। गुरु खोजे नहीं जाते, गुरु का दर्शन किया जाता है। उन्होंने राम नाम की महिमा बताते हुए कहा कि कलयुग में योग, यज्ञ ,जप, तप, व्रत, पूजा जैसे साधना के कठिन मार्ग संभव नहीं है। केवल भगवान के नाम का सुमिरन ही भवसागर से पार कर सकता है। भगवान के सहस्त्रनाम हैं और कोई भी नाम जपा जा सकता है। इसी प्रसंग में उन्होंने माता सती के अभिमान और बिन बुलाए अपने पिता के यज्ञ में जाने और भगवान शंकर का अपमान होने पर योग अग्नि के द्वारा अपने शरीर को जलाकर भस्म करने की कथा का वर्णन किया।

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