जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करे, तब होगी समरस समाज की स्थापना

समरसता सेवा संगठन ने भगवान विश्वकर्मा पूजन दिवस की पूर्व संध्या पर किया विचार गोष्ठी और सम्मान समारोह का आयोजन

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जबलपुर। समरस भारत – समर्थ भारत के लिये सब सबको जाने – सब सबको माने, एक अभियान के अंतर्गत समरसता सेवा संगठन द्वारा भगवान विश्वकर्मा पूजन दिवस की पूर्व संध्या पर मुख्य अतिथि न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया के चीफ इंजी. श्री कमलेशचंद्र शर्मा, मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ तनुजा चौधरी, विशिष्ठ अतिथि श्री सहेंद्र श्रीवास्तव, समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष संदीप जैन की उपस्थिति में विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन कच्छ पाटीदार समाज भवन, महानद्दा, छोटी लाईन फाटक के पास जबलपुर में किया गया।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ तनुजा चौधरी ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा समरसता हमारे जीवन का आधार, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और मानविक जीवन में समरसता का महत्व है, विश्व पटल पर हम युद्ध, आपसी मतभेद और आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा देखते है और यह इसीलिए कि उनने समरसता के महत्व को नही समझा है।पश्चिमी और भौतिकवादी चिंतन के कारण आज विश्व के साथ साथ हमारे देश में भी अब यही प्रतिस्पर्धा पनप रही है।

उन्होंने कहा हम साथ साथ जिए, साथ साथ आगे बड़े, साथ साथ हमारा विकास हो यही मानव जीवन का आधार है और यह समरसता के कारण ही संभव होगा। हमारे महापुरुषों ने भी अपने विचारो और वाणी में सबको साथ लेकर चलने की बात कही है और उन्होंने अपने विचार सर्व समाज के लिए समान रूप से दिए।
उन्होंने कहा भगवान विश्वकर्मा ने समाज और जीवन को निर्माण से जोड़ा है और समरस भाव से उन्होंने निर्माण किया और आज भगवान विश्वकर्मा को न केवल विश्वकर्मा समाज अपितु सर्व समाज पूजता और मानता है।

मुख्य अतिथि इंजी. कमलेश शर्मा ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा आज समरसता पूर्ण समाज के निर्माण की आवश्यकता है और इसके लिए हर वर्ग और समाज को आगे आना होगा और जिस तरह समरसता सेवा संगठन सभी समाजों को एक साथ जोड़ने का कार्य कर रहा है उससे समरस समाज की स्थापना के हमारे उद्देश्य की पूर्ति होगी। हमे एक दूसरे के लिए जीना है और जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करे क्योंकि सभी के अंदर परमात्मा की ज्योति का अंश विराजमान है और तब हम समर्थ भारत के निर्माण में आगे बड़ेंगे।

उन्होंने कहा पूर्व काल में हमारे देश में छुआछूत और भेदभाव नहीं था पर जैसे जैसे हमारे देश में विदेशी आक्रांताओं के हमले हुए और उन्होंने समाज जाति के नाम पर तोड़ने का प्रयास किया इससे देश में ऊंच नीच का भाव आया और वर्ण व्यवस्था जो कार्य विभाजन ले लिए बनाई गई थी वह ऊंच नीच में बदल गई। आज यह बदलने का समय है और इसके लिए हमे आगे आना होगा और किसी ओर के कहने के पहले स्वयं इन कुरुतियो को दूर करना होगा।

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री सहेंद्र श्रीवास्तव ने भी विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा समरसता सेवा संगठन जो कार्य कर रहा है यह अद्भुत और अनुकरणीय है इसके लिए संगठन के अध्यक्ष और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है।

कार्यक्रम की प्रस्तावना संगठन सचिव उज्ज्वल पचौरी ने रखते हुए स्वागत उद्बोधन दिया।
संगठन वक्ता के रूप में विनीत यादव ने भगवान विश्वकर्मा पूजन के महत्व पर प्रकाश डाला।

सम्मान – कार्यक्रम के दूसरे चरण में रमेश विश्वकर्मा, हरिशंकर विश्वकर्मा, रामबाबू विश्वकर्मा, अशोक विश्वकर्मा, हरिराम विश्वकर्मा, महेश विश्वकर्मा, एड दीपक विश्वकर्मा, कमलेश विश्वकर्मा, ओपी विश्वकर्मा, रामकिशोर विश्वकर्मा, पुरषोत्तम विश्वकर्मा, श्रीमती नम्रता विश्वकर्मा, प्रभा विश्वकर्मा, शिवकली मालवीय, त्रिलोकीनाथ विश्वकर्मा, अंशुल विश्वकर्मा, अंशिका विश्वकर्मा, राजेंद्र विश्वकर्मा, उमा विश्वकर्मा, अनिका विश्वकर्मा, अनुश्री विश्वकर्मा, अनिता विश्वकर्मा, नीलम विश्वकर्मा, छाया विश्वकर्मा, स्वाति विश्वकर्मा, कृष्णा विश्वकर्मा, स्वाति शर्मा, सरिता शर्मा, पूजा शर्मा सीमा विश्वकर्मा, पुष्पा विश्वकर्मा, शोभा विश्वकर्मा संजय विश्वकर्मा का सम्मान किया गया।
का सम्मान किया गया।

इस अवसर पर शरतचंद्र पालन, रामजी अग्रवाल, आभा साहू, संतोष राठौर, मोहन श्रीवास, संदेश महाराज, प्रिंसी बांगा, मनोज सेठ, नरेश केसरवानी, श्याम अग्रवाल, अमित चौरसिया, डॉ विनोद श्रीवास्तव, प्रदीप पटेल, अमरेंद्र श्रीवास्तव, राजेश तिवारी, अखिलेश ब्यौहार, पीयूष वर्मा, रविंद्रनाथ दुबे, चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव, रेखा सिंह ठाकुर, निरंजन सिंह, अनिल जैन, आनंद नेमा, अनिल गुप्ता, देवीलाल गुप्ता, बंटी जैन आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन धीरज अग्रवाल एवं आभार संतोष झारिया ने व्यक्त किया।

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