दौड़ से बाहर हुए प्रौढ़,जवान को ही कमान
भाजपा जिलाध्यक्ष का घमासान राजधानी पहुंचा, भोपाल की नाकामी के बाद दिल्ली वालों ने संभाला मोर्चा,अध्यक्ष रिपीट नहीं होंगे
दौड़ से बाहर हुए प्रौढ़,जवान को ही कमान
भाजपा जिलाध्यक्ष का घमासान राजधानी पहुंचा, भोपाल की नाकामी के बाद दिल्ली वालों ने संभाला मोर्चा,अध्यक्ष रिपीट नहीं होंगे
जबलपुर। भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर भाजपा में उ”ास्तरीय घमासान जारी है। नेताओं की जंग में संगठन ऐसे फंस गया है जैसे दांतों के बीच जीभ। खबर है कि अब संगठन ने तय किया है कि किसी भी जिले में जिलाध्यक्ष रिपीट नहीं होगा और किसी युवा चेहरे को ही मौका दिया जाएगा। पार्टी के इस ऐलान के बाद वर्तमान अध्यक्ष और प्रौढ़ व बुजुर्ग दावेदारों की आशाओं पर पानी फिर गया है। जिलाध्यक्षों के नामों की सूची प्रदेश कार्यालय से जारी नहीं होगी। जिलों में नियुक्त जिला निर्वाचन अधिकारी और पर्यवेक्षक जिले के पदाधिकारियों की बैठक में जिलाध्यक्ष के नाम की औपचारिक घोषणा करेंगे।
-बेनतीजा रही सारी कवायद
बीजेपी ने पहले जिलों में रायशुमारी की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद 3 जनवरी को जिला निर्वाचन अधिकारियों और पर्यवेक्षकों के साथ रायशुमारी की। टेबुलेशन शीट और पैनल पर चर्चा भी कर ली थी। पार्टी के बड़े नेताओं में जिलाध्यक्षों के नामों को लेकर मची खींचतान ने प्लानिंग चौपट कर दी। वर्तमान जिलाध्यक्षों को रिपीट करने को लेकर भी सहमति नहीं बनी। जबलपुर को लेकर एक बार नाम फाइनल भी हो चुका था,लेकिन बाद में नेताओं की दखलंदाजी के कारण फिर से विचार शुरु हो गया। हर गुट अपनी तरफ से दावेदारी ठोक रहा है,लेकिन अब तक किसी की दाल गलती हुई दिख नहीं रही है। रोज सुबह से शाम तक लिस्ट का इंतजार किया जा रहा है।
-एकराय बनाना बड़ी चुनौती
भोपाल में तमाम नेताओं, सांसदों, मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों के साथ चर्चा के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में हुई बैठक में सभी जिलों के जिलाध्यक्षों के नाम तय करने को लेकर मंथन हुआ,लेकिन अब तक कुछ भी तय नहीं हो सका है। ये फैसला जरूर हुआ है कि पर्यवेक्षक और निर्वाचन अधिकारी औपचारिक रूप से जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा करेंगे। जितने जिलों के अध्यक्ष घोषित होंगे उन सबकी सूची फोटो के साथ प्रदेश कार्यालय से प्रेस नोट के जरिए जारी की जाएगी। जबलपुर के जिलाध्यक्ष को लेकर शक्ति प्रदर्शन की ये नौबत है कि पूरी पार्टी दो धड़ों में बंट चुकी है। दो दिग्गजों और पार्टी के सक्रिय गुट ने जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है।