राहत के सारे रास्ते बंद,स्कूलों की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी तेज
बच्चों के अभिभावकों से फीस के रूप में वसूले गये करोड़ों रुपये की वसूली के लिए जिला प्रशासन जल्दी ही कुर्की की कार्रवाई अमल में लाने की तैयारी तेज कर चुका है
राहत के सारे रास्ते बंद,स्कूलों की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी तेज
जनवरी के दूसरे हफ्ते में जारी होंगे अंतिम नोटिस,संचालकों ने जुर्माना तो जमा किया पर बच्चों की राशि नहीं लौटायी,तीन और स्कूलों पर कसा शिकंजा,कलेक्टर बोले, नियम तोड़ने वालों को रियायत देने का सवाल ही नहीं
जबलपुर। बच्चों के अभिभावकों से फीस के रूप में वसूले गये करोड़ों रुपये की वसूली के लिए जिला प्रशासन जल्दी ही कुर्की की कार्रवाई अमल में लाने की तैयारी तेज कर चुका है। कार्रवाई की जद में आए सभी स्कूल संचालक राहत पाने के लिए काफी हाथ-पैर मार चुके हैं,लेकिन उन्हें कहीं से भी नहीं मिली है। फीस अधिनियम में स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि यदि स्कूल अवैध करार दी गयी फीस की राशि का भुगतान नहीं करेंगे तो उनकी संपत्तियां कुर्क कर रकम जुटाई जाएगी। गुरुवार को जिला प्रशासन की एक और कार्रवाई से मामला सुर्खियों में आ गया है।
-तीन स्कूलों ने 34 करोड़ की अवैध फीस वसूली
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अनुसार तीनों निजी स्कूलों द्वारा शैक्षणिक सत्र 2018-19 से लेकर 2024-25 तक 47 हजार 904 विद्यार्थियों से 33 करोड़ 78 लाख रुपए फीस के रूप में अवैध रूप से वसूले गए थे। अवैधानिक रूप से की गई फीस वृद्धि को कलेक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में गठित जिला समिति ने अमान्य करने की यह कार्रवाई अभिभावकों से प्राप्त शिकायतों पर विस्तृत जाँच उपरांत की है। इन निजी स्कूलों के प्रबंधन पर मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन अधिनियम 2017 एवं 2020 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के कारण दो-दो लाख रुपए की शास्ति भी अधिरोपित की गई है। स्कूल प्रबंधकों को शास्ति की राशि 30 दिन के अंदर आयुक्त लोक शिक्षण मध्यप्रदेश के बैंक के खाते में जमा कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पावती प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
-किस स्कूल की कितनी फीस अवैध
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के मुताबिक मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन अधिनियम 2017 के तहत गठित जिला समिति द्वारा जाँच के बाद नचिकेता सीनियर सेकेंडरी स्?कूल विजय नगर के प्रबंधन को शैक्षणिक सत्र 2018-19 से शैक्षणिक सत्र 2024-25 तक 10 हजार 865 विद्यार्थियों से फीस के तौर पर अवैधानिक रूप से वसूली गई 5 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि, स्मॉल वंडर सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रबंधन को 18 हजार 541 विद्यार्थियों से 12 करोड़ 02 लाख रुपए की अवैधानिक रूप से वसूली गई राशि एवं सेंट जोसफ कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल रांझी के प्रबंधन को 18 हजार 498 विद्यार्थियों से अवैधानिक रूप से वसूली गई 15 करोड़ 91 लाख रुपए की राशि वापस करने के आदेश दिए गए हैं। जिला समिति के सदस्य सचिव एवं जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी आदेश में इन स्कूलों के प्रबंधन को निर्देश दिए गए हैं कि अवैधानिक रूप से बढ़ाई गई फीस की राशि 30 दिन के भीतर अभिभावकों को उसी तरह से वापस की जाए जिस तरह से फीस प्राप्त की गई थी।
-गलत नहीं थे तो जुर्माना क्यों दिया
इधर, सवाल ये उठाया जा रहा है कि जब स्कूल संचालक नियमों में गलत नहीं थे तो उन्होंने दो-दो लाख रुपये बतौर जुर्माना सरकार के खाते में क्यों जमा किए। वहीं, यही स्कूल संचालक अवैध फीस देनदारी चुकाने में आनाकानी कर रहे हैं।
– कुल वसूली 219 करोड़ की आंकड़ों के अनुसार, अब तक कुल 28 स्कूलों पर कार्रवाई की गयी है। जिनमें से 12 स्कूलों के 84 संचालकों-कर्मचारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया है। 28 स्कूल संचालकों से अवैध फीस के 219 करोड़ रुपये वसूले जाने हैं,लेकिन अभी तक किसी एक ने भी राशि नहीं दी है। 13 स्कूलों पर दो-दो लाख का जुर्माना लगाया गया है,जिनमें से कुछ ने ये रकम जमा की है,लेकिन कुछ अभी भी चुप्पी साधे हुये हैं।
-राहत की उम्मीदों की हकीकत
स्कूल संचालकों को राहत की पहली उम्मीद माननीय न्यायालय से
थी,लेकिन माननीय न्यायालय ने भी अवैध फीस वसूली की प्रक्रिया से किसी भी तरह की छूट नहीं दी है। केवल उन्हें रिलीफ मिली है,जिन्होंने दस प्रतिशत से कम फीस बढ़ाई थी। दूसरी राहत की आस राज्य स्तरीय फीस समिति थी। जहां सभी ने अपील की,लेकिन किसी को भी राहत नहीं मिली। 45 दिन की ये मियाद भी गुजर चुकी है। स्कूलों को अपने राजनीतिक आकाओं से भी मदद की आशा थी पर ये सहारा भी नहीं मिल सका।
-वर्जन
-नियम के अनुसार ही कार्रवाई होगी
समयावधि बीत जाने के बाद भी बच्चों से वसूली अवैध फीस का भुगतान न करने वाले स्कूल संचालकों पर निश्चित तौर पर कुर्की की कार्रवाई होगी। अधिनियम में इसका प्रावधान भी है। स्कूल संचालकों को पर्याप्त अवसर दिए जा चुके हैं।