फातिमा माता मरियम की वार्षिक भक्ति …
माता मरियम सदैव ईश्वर के प्रति कृतज्ञ बनीं रहीं ...फादर बेन एंटोन
संस्कारधानी जबलपुर में सेंट थॉमस स्कूल परिसर स्थित फातिमा की माता मरियम के तीर्थस्थल में मई माह की वार्षिक भक्ति का क्रम अनवरत जारी है । नौदिवसीय प्रार्थनाओ तथा दर्शन के पर्व दिवस के उपरांत आज सामान्य शनिवार के पावन ख्रीस्तयाग के मुख्य याजक सेंट अलॉयशियस कॉलेज के प्राचार्य, फादर बेन एंटोन रॉस ने भक्तजनों की विशाल उपस्थिति में पावन ख्रीस्त्याग अर्पित करते हुए कहा…
माता मरियम के जीवन में आनंद इसलिए था क्योंकि माता मरियम ईश्वर की शरण में रहकर उनकी स्तुति, प्रशंसा तथा महिमा के गीत गाती थीं और ईश्वर के प्रति कृतज्ञ थीं। जबकि हमको स्वयं की प्रशंसा सुनना अच्छा लगता है। जो ईश्वर ने हमको दिया हम उसके प्रति कृतज्ञ न बनकर जो हमे नहीं मिला उसके लिए चिंतित रहते हैं। माता मरियम ने ईश्वर को अपना जीवन समर्पित किया तथा उनका अनुकरण किया ।हमारा भी उद्देश्य ऐसा ही होना चाहिए अन्यथा हमारी भक्ति व्यर्थ है।प्रभु येसु ने दस कोढ़ियों को चंगाई देते हैं किन्तु मात्र एक ही चंगा हुआ कोढ़ी येसु को धन्यवाद देता है तथा उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है। हम भी कई अवसर पर ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त नहीं करते हैं।गैब्रियल दूत के प्रणाम के बाद भी माता मरियम विनम्र बन कर कहती हैं देख मैं प्रभु की दासी हूं, तेरा कथन मुझ में पूर्ण होवे। लोगो को दिखाने के लिए नहीं बल्कि ईश्वर के लिए अपनी जीवन की दशा को बदलते हुए तथा कार्य करते हुए माता मरियम की भांति हमको विनम्र बन कर रहना चाहिए तभी हम आनंद के स्त्रोत बन सकते हैं।माता मरियम उनको मिले सभी वरदानो के लिए पिता ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहती हैं।हमको खुशी और आनंद तब मिल सकता है जब हम एक दूसरे की सेवा करें, जैसे माता मरियम ने अपनी कुटिम्बनी एलिजाबेथ की सेवा के लिए तत्परता से चल पड़ीं थीं। सेवा कार्यों से हमको खुशी मिल सकती है।यदि हमें आनंद , खुशी और संतोष का अनुभव करना है तो हमें अपने रिश्तों को पोषित करना है, रिश्तों को तोड़ने वाला नहीं बनना है। क्रूस पर मरण के पूर्व प्रभु येसु योहन को संबोधित करते हुए कहते हैं ये तुम्हारी माता है ,तब से माता मरियम हम सबकी माता हैं। माता मरियम ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहकर आनंद को पातीं हैं। हमको भी ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए, उदास नहीं रहना चाहिए, खुश रहकर दूसरों को भी खुशी देने का कार्य करना चाहिए। माता मरियम प्रभु येसु को जन्म देकर हम सबको ईश्वरीय आनंद प्रदान करती हैं । मनुष्यों की अपेक्षा ईश्वर से प्रशंसा पाना ज्यादा श्रेयस्कर है। जिस प्रकार माता मरियम हमारे लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का नमूना प्रस्तुत करती हैं , वैसे ही हम भी ईश्वर के प्रति तथा दूसरों के प्रति कृतज्ञ बनने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे।माता मरियम ने ईमानदारी पूर्ण जीवन को जीते हुए तथा यह कहते हुए कि ईश्वर ने मेरे लिए महान कार्य किए हैं, ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की है। माता मरियम के जीवन में ऐसा कोई अवसर नहीं आया कि उन्होंने ईश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त न की हो। माता मरियम हमसे आग्रह करती हैं कि हम भी ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहकर कृतज्ञता को अपना स्थाई स्वभाव बना लें।
माता मरियम के तीर्थस्थल की बेहद ही आकर्षक एवं नयनाभिराम साज सजावट की गई है। माता मरियम के भक्त पवित्र तीर्थस्थल में विशाल संख्या में उपस्थित होकर मोमबत्ती जलाकर एवं पुष्पों को अर्पित कर के अपनी मन्नतें मांगते हुए प्रार्थना में लीन थे।
25 मई को महोत्सव
संजय मैथ्यूस ने बताया कि मई माह के अंतिम शनिवार 25 मई 2024 को फातिमा की माता मरियम का महोत्सव है। इस दिन पावन ख्रीस्तयाग नवअभिषिकत धर्माध्यक्ष परम श्रद्धेय वलन अरसू के करकमलों द्वारा अर्पित किया जायेगा।
श्राइन प्रबंधन के चैपलिन फादर रंजीत लकरा ने माता मरियम के भक्तजनो से आगामी 25 मई को विशाल संख्या में उपस्थिति की अपील की है ।