बुंदेलखंड की बेटी ने मान बढ़ाया

जुनून हो तो हर मंजिल आसान

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टीकमगढ़ / बुंदेलखंड की धरती ने हमेशा प्रतिभाओं को गढ़ने का काम किया है। चाहे 1857 की क्रांति में वीरांगना लक्ष्मी बाई रही हों, भगवान राम को अवध से ओरछा लाने बाली कुंवरि गणेश हों या फिर मध्यप्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री उमा भारती(CM UMA BHARTI) हों। सभी को बुंदेली वसुधा ने एक पहचान दिलाई है। जब देश दुनिया में महिलाओं के सशक्तिकरण की चर्चा हो तो बुंदेलखंड को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आज के इस बढ़ते दौर में एक छोटे से गांव वीरऊ की एक बिटिया रविता यादव ने बीएसएफ में भर्ती होकर अपने जुनून को साबित कर दिखाया है। बीते आठ माह की ट्रेनिंग लेकर जब गांव की बेटी रविता यादव अपने घर वापिस लौटी तो पूरे गांव का सीना गर्व से फूल गया। नतीजतन गांव के हर उम्र के लोग अपनी रविता के स्वागत सम्मान में बैंड बाजे के साथ पूरे गांव में रैली निकालकर अपनी खुशी का इजहार किया।
रविता यादव का अगस्त 2023 में बीएसएफ में चयन हुआ था, उसके बाद वह ट्रेनिंग के लिए पंजाब के जलन्धर में बीएसएफ ट्रेनिंग सेंटर से 8 माह बाद अपने गांव वापिस लौटी थी। रविता जब अपने घर के दरवाजे पर पहुंची तो परिवार सहित गांव की महिलाओं ने उसकी आरती उतारकर मिठाई खिलाई।

भावुक करने वाले क्षण
रविता जैसे ही अपने पिता के सामने पहुंची तो उसने अपने सिर पर लगी बीएसएफ की टोपी को उतार पर पिता रामभगत के सिर पर पहना दी। ये भावुक पल देखकर लोगों की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। रविता अपने परिवार की सबसे छोटी बेटी है, उसके पिता रामभगत यादव एक रिटायर्ड मास्टर हैं। उसके दो बड़े भाई घर पर रहते हुए खेती किसानी का काम करते हैं। एक बड़ी बहिन है जिसका विवाह हो चुका है। अपने पूरे परिवार में इकलौती रविता हैं, जो सरकारी नौकरी में गई हैं, और पूरे गांव सहित क्षेत्र में पहली बेटी हैं। जिसका बीएसएफ में चयन हुआ है।

गांव के ही लड़के से मिली प्रेरणा
रविता का बीएसएफ में चयन के पीछे की कहानी पर कहना है, कि लगभग 3 साल पहले उसके गांव के ही संजय यादव का बीएसएफ में सिलेक्शन हुआ था। उसके बाद मेरे मन में सेना में जाकर नौकरी करने की इच्छा जागी। बस उसके बाद मैंने ठान लिया कि अब सेना में भर्ती होकर ही दम लूंगी। मैंने तैयारी शुरू कर दी , लगातार मेहनत के साथ की गई तैयारी और सिलेक्ट होने के जुनून ने मुझे मेरी मंजिल तक पहुंचा दिया। आज मैं बेहद खुश हूं कि मेरे माता पिता व भाइयों के सहयोग के बिना यह मुमकिन नहीं था। जो कुछ भी मैं हासिल कर पाई उसके पीछे मेरे माता पिता का आशीर्वाद है।
निःसंदेह एक छोटे से गांव की बेटी ने मौजूद संसाधनों में कड़ी मेहनत कर दूसरे युवाओं को प्रेरणा देने का काम करते हुए हम सबका मान बढ़ाया है।

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