सिविक सेंटर: मनमाने क़ब्ज़ों -पार्किंग से यातायात अराजक
फुटपाथों और सड़कों पर लग रहे चार्ट फूलकी के ठेले
जबलपुर- शहर के हृदय स्थल कहें जाने वाले सिविक सेंटर को चार्ट, फुलकी के ठेले टपरों वालों की नजर लग चुकीहै। यहां पर दिनभर इनकी धमा चौकड़ी देखने को मिल जाएगी। और शाम से लेकर रात होते-होते तक इनकी संख्या भी बढ़ जाती है और दुकान सड़कों पर आ जाती हैं। इस सब का नतीजा यह होता है कि सड़कों पर मनमानी पार्किंग और अराजक यातायात के बीच लोगों का आना-जाना होता है। और कई कई बार तो यहां पर जाम की स्थिति भी निर्मित हो जाती है। ठेले टपरे वालों की मनमानी और रगदारी के कारण निगम का अतिक्रमण हटाने वाला अमला भी बेबश नजर आता है। इन दुकानदारों की हिम्मत देखते ही बनती है की अपना व्यापार करने के लिए इन्होंने सुलभ कंपलेक्स को भी ढांक कर रख दिया है।
लेकिन जिम्मेदार अभी भी मुंह में दही जमाए बैठे हैं।
पूरे सिविक सेंटर की सड़कों और फुटपाथों पर ठेले टपरों वालों की संख्या तीज त्योहार में और भी बढ़ जाती है। और इन सब के चलते यहां आने वाले ग्राहकों के वाहन भी सड़क पर ही पार्क होते हैं। लोगों का कहना है कि यहां के इन दुकानदारों के कारण यहां का यातायात ट्रैफिक सिस्टम के लिए चुनौती बना हुआ है लेकिन फिर भी अतिक्रमण हटाने ने वाले अमले को यह सब क्यों नहीं दिखाई देता। सड़क और फुटपाथ दोनों चलने के लिए होते हैं और इन दोनों पर ही दर्जनों दुकानें रोज लगाती हैं सुबह से रात तक यही हाल रहता है। फिर भी कार्रवाई करने वालों को यहां आकर देखने की फुर्सत नहीं मिलती। अगर यह मिली भगत नहीं है तो और क्या है आखिर
फुटपाथ और सड़क को घेर कर खड़े हो रहे इन ठेले टपरों वालों पर जिम्मेदार कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं करते।
20 फीट की हो जाती है सड़क दोपहर से लेकर शाम होते-होते तक यहां की 40 फीट की सड़क 20 फीट की हो जाती है। सड़कों के दोनों तरफ बेतरतीब पार्किंग और मनमानी लगी हुई दुकानों के कारण आने जाने वालों को काफी परेशानी होती है। लेकिन इससे इन दुकानदारों को और वहां सड़क पर खड़े करने वालों को कोई लेना-देना नहीं होता। यह बात किसी एक दिन की नहीं है रोज की है। रविवार और मंगलवार को यहां और भी भीड़ देखने को मिलती है। लोगों को कहना है कि कई बार इन सब की शिकायत जिम्मेदारों से की गई लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता ही निभाई जाती है।
स्थानी दुकानदार परेशान सिविक सेंटर जैसे एरिया में जिन लोगों की अपनी खुद की दुकानें हैं वह इन सब ठेले टपरों वालों से परेशानहै। जगह-जगह फुटपाथ पर लगी चाय पान की दुकानें और चार्ट फुलकी के ठेले वालों के कारण सिविक सेंटर जैसे एरिया की खूबसूरती भी सत्यानाश हो चुकी है। जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर, और सणाध मारती नालियों की दुर्गंध इन्हीं सब दुकानदारों की ही देन हैं। निगम के अतिक्रमण हटाने वाले और ठेले टपरों वालों की मिली भगत से यहां का यह हाल ऐसा ही बना रहता है। कुछ स्थानीय दुकानदारों ने निगम के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए बताया कि यहां पर इतनी अराजकता जो फैली रहती है इसका कारण है कि अतिक्रमण हटाने वालों का याराना यहां बना रहता है। जिसके कारण यहां पर व्यवस्थित कुछ भी नहीं दिखाई देता।
नहीं दिखता कंपलेक्स सिविक सेंटर जैसी जगह में कहने को तो दो सुलभ कंपलेक्स गार्डन के दोनों तरफ बनाए गए हैं। जिससे यहां आने जाने वालों और दुकानदारों को कोई असुविधा न हो लेकिन इन ठेले टपरों वालों ने अपनी दुकान इसके सामने लगा के रखी है। लोगों को पता ही नहीं चलता कि यहां पर दूसरा सुलभ कंपलेक्स भी है। और वह इस सुविधा का उपयोग करने के लिए यहां वहां जगह ढूंढते रहते हैं। अब इसे इन दुकानदारों की मनमानी और रगदारी न कहा जाए तो क्या कहेंगे। आखिर जिम्मेदारों को यह सब मालूम होने के बाद भी वे यहां कार्रवाई करने से क्यों पीछे हटते हैं यह बात समझ से परे है। इतने बड़े सिविक सेंटर बाजार में इतनी ज्यादा अराजकता और इनकी मनमानी पर निगम के अधिकारी क्यों नहीं कोई लगाम लगा पा रहे हैं।