धर्म-कर्म ही मनुष्य की स्वयं की पूंजी: स्वामी अशोकानंद जी महाराज
( भक्ति धाम गौरी घाट में श्रीमद् भागवत कथा पुराण)
जबलपुर – हर कोई कभी न कभी साथ छोड़ देता हैं, लेकिन धर्म कभी मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता। जब कोई भी अन्य मनुष्य या वस्तु आपका साथ नहीं देते, तब आपके द्वारा किए गए धर्म और पुण्य के काम ही आपकी मदद करते हैं और हर परेशानी में आपकी रक्षा करते हैं “धर्मो रक्षति रक्षिता”। मनुष्य व्दारा किया गया धार्मिक कर्म ही स्वयं की पूंजी है।श्री राम ने भी पितृ तर्पण किया था पितृपक्ष में किया गया पुण्य कर्म सभी पूर्वजों को मोक्ष दिलाता है।
उक्त उद्गार भक्तिधाम गौरी घाट में पितृपक्ष के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस अंतरराष्ट्रीय भागवताचार्य स्वामी अशोकानंद जी ने व्यास पीठ से कहे।
पितृपक्ष पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में श्रीराधा कृष्ण, भागवत पुराण, व्यास पीठ पूजन पं वेदांत शर्मा, आशीष महाराज, पप्पू लालवानी, उमेश पारवानी, विजय पंजवानी, दिलीप तलरेजा,करिश्मा शर्मा, जया, वीनू मखीजा, प्रिया पंजवानी, पुष्पराज तिवारी सहित भागवत सेवा समिति के सेवकों,श्रृद्धालुओं की उपस्थिति रही।