एक ओर गधा एक ओर च्यवनप्राश, कुलपति संग निरीक्षण पर निकले एनएसयूआई कार्यकर्ता।

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश कुमार वर्मा का गधे के रूप मे "प्रतीकात्मक निरीक्षण"। भारतीय राष्ट्रिय छात्र संगठन ने मांगा फर्जी कुलगुरु का इस्तीफा।

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एक ओर गधा एक ओर च्यवनप्राश, कुलपति संग निरीक्षण पर निकले एनएसयूआई कार्यकर्ता। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश कुमार वर्मा का गधे के रूप मे “प्रतीकात्मक निरीक्षण”। भारतीय राष्ट्रिय छात्र संगठन ने मांगा फर्जी कुलगुरु का इस्तीफा।

जबलपुर। भारतीय राष्ट्रिय छात्र संगठन जबलपुर के प्रदेश प्रवक्ता राहुल रजक एव प्रदेश सचिव अनुज यादव के नेतृत्व मे आज एनएसयूआई कार्यकर्ताओं द्वारा एक अनोखा प्रदर्शन करते हुए रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलगुरु जो फर्जी रूप से प्राध्यापक बने हैं, के प्रतीकात्मक रूप गधे के द्वारा निरीक्षण कराया गया। यह आंदोलन योग्यता को नजरअंदाज कर धन बल पर नियुक्ति हासिल करने वाले प्रो राजेश कुमार वर्मा का प्रतीकात्मक विरोध था। कार्यकर्ताओं द्वारा गधे को विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से प्रशासनिक भवन मे प्रवेश करने से पहले ही पुलिस प्रशासन ने बल पूर्वक रोक दिया। इस दौरान पुलिस से कार्यकर्ताओं की झड़प भी हुई। कार्यकर्ताओं द्वारा लाया गया च्यवनप्राश कुलपति की इच्छा शक्ति को जगाने का प्रतीक था।
जिला अध्यक्ष सचिन रजक ने बताया कि “प्रो. राजेश कुमार वर्मा की नियुक्ति न केवल फर्जी है, बल्कि यह उच्च शिक्षा के मापदंडों का मजाक उड़ाती है। ऐसे कुलपति के इस्तीफे की मांग हमारा अधिकार है।”

विदित हो कि एनएसयूआई द्वारा पिछले दिनों एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलगुरु प्रो राजेश कुमार वर्मा के मूल पद अर्थात प्राध्यापक पद पर की गई फर्जी नियुक्ति का खुलासा किया था। संगठन ने प्रश्न उठाया था कि जिस व्यक्ति की मूल पद पर नियुक्ति ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के विपरीत है वह व्यक्ति किस आधार पर विश्वविद्यालय का संचालन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विनियमों के अनुसार कर पाएगा।

ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बीते एक वर्ष मे परीक्षा परिणामों मे लापरवाही के दर्जनों मामले सामने आए हैं। आए दिन दूर दराज के इलाकों से छात्रों को विश्वविद्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे है। परीक्षाओं का समयबद्ध संचालन भी विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं करा पा रहा। कुलगुरु द्वारा इन सभी मामलों मे लगातार लापरवाही करना एवं अपने अधीनस्थों पर प्रभावी नियंत्रण न होना उनकी प्रशासनिक कुशलता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। यह प्रमाणित करता है कि जोड़ तोड़कर व्यक्तियों को विश्वविद्यालय का सर्वे सर्वा बनाना विश्वविद्यालय के सुचारू संचालन में एक बड़ी बाधा बन रहा है।

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रो. राजेश कुमार वर्मा की प्राध्यापक पद पर नियुक्ति में कई विसंगतियां सामने आई हैं। उन्हें 2008 में पीएचडी उपाधि मिली थी, जबकि 2009 में प्राध्यापक पद के लिए विज्ञापन जारी हुआ। इस पद के लिए पीएचडी के बाद 10 वर्षों का अध्यापन अनुभव अनिवार्य था, जो उनके पास नहीं था। इसके बावजूद, उन्हें नियमों की अनदेखी कर नियुक्ति दी गई।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों के अनुसार, प्राध्यापक पद के लिए शोध निदेशक के रूप में अनुभव और उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्र प्रकाशित करना आवश्यक है, जो वर्मा के पास नहीं था। उनकी नियुक्ति न केवल UGC के मानकों का उल्लंघन है, बल्कि छात्रों और शिक्षकों के हितों के साथ समझौता भी।

तत्कालीन आयुक्त उच्च शिक्षा ने 2009 की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की बात स्वीकार की थी, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आज, ऐसी अवैध नियुक्तियां प्रदेश के शासकीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा और शोध के स्तर को गिरा रही हैं। छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई जरूरी है, ताकि उच्च शिक्षा में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। संगठन ने कुलपति के तत्काल इस्तीफे की मांग की और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। छात्रों की समस्याओं को अनदेखा करने वाले और प्रशासनिक लापरवाही को बढ़ावा देने वाले कुलपति को पद पर रहने का कोई हक नहीं है। हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक न्याय नहीं मिलता।

आज के प्रदर्शन मे मुख्य रूप से राहुल रजक,अनुज यादव, जिलाध्यक्ष सचिन रजक, अमित मिश्रा,साहिल यादव ,मो अली, प्रतीक शुक्ला,वाजिद कादरी,राहुल यादव, अदनान अंसारी, एजाज, पवन कनौजीया,दीपक शर्मा सहित भारी संख्या मे उपस्थित थे।

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