रुद्राभिषेक से हमारे पातक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं ब्र. चैतन्यानंद
इस पृथ्वीलोक में सभी मनुष्यों को भगवान शिव के विशाल स्वरूप को समझना चाहिए।
रुद्राभिषेक से हमारे पातक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं ब्र. चैतन्यानंद
बगलामुखी सिद्ध पीठ शंकराचार्य मठ में आयोजित ब्रह्मचारी सुबोधनंद जी के चातुर्मास में आयोजित शिव पुराण में आज पार्थिव शिवलिंग निर्माण उनका अभिषेक एवं महाआरती हुई तत्पश्चात ब्रह्मचारी श्री चैतन्यानंद जी महाराज ने शिव महापुराण की कथा में बताया कि शिव पुराण’ परम उत्तम शास्त्र है। इस पृथ्वीलोक में सभी मनुष्यों को भगवान शिव के विशाल स्वरूप को समझना चाहिए। इसे पढ़ना एवं सुनना सर्वसाधन है। यह मनोवांछित फलों को देने वाला है। इससे मनुष्य निष्पाप हो जाता है तथा इस लोक में सभी सुखों का उपभोग करके अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है।
रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे पातक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। आज शिव महापुराण में शिव के साथ-साथ शक्ति की भी उपासना की जा रही है भगवती पीतांबरा की हिंडोला पूजन एवं सिक्कों से अर्चन किया जा रहा है श्रीमती प्रभा यादव गोविंद साहू विवेक गुप्ता ऋषि अग्रवाल श्रीमती रिचा मिश्रा श्रीमती आराधना चौकसे मनोज सेनआदि भक्तगण उपस्थित रहे