हर दिग्गज चाह रहा उसका सिक्का चले

भाजपा के जिलाध्यक्ष के नाम पर घमासान, जो संभावितों में भी नहीं, वे भी बना रहे दबाव,संडे को देर रात तक मंथन, पर फैसला नहीं

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हर दिग्गज चाह रहा उसका सिक्का चले
भाजपा के जिलाध्यक्ष के नाम पर घमासान, जो संभावितों में भी नहीं, वे भी बना रहे दबाव,संडे को देर रात तक मंथन, पर फैसला नहीं

जबलपुर। भाजपा के जिलाध्यक्ष का नाम दिग्गजों की रस्साकशी में उलझ गया है। पहले लग रहा था कि रविवार को लिस्ट आ जाएगी,लेकिन अब कोई दिन या तारीख कुछ भी बताने तैयार नहीं है। खबर है कि जिन नेताओं का नाम संभावितों की सूची में भी दूर-दूर तक नहीं है, वे पूरी ताकत से कवायद में जुटे हुये हैं। हालाकि, ऐसा नहीं है कि ऐसा केवल जबलपुर के साथ है। प्रदेश के तीस से ज्यादा जिले है,जो इसी समस्या से ग्रस्त हैं। हर दिग्गज चाह रहा है कि उसका सिक्का चले ताकि सत्ता और संगठन दोनों में रौब कायम किया जा सके।
-संभावितों की सूची ने मचाया हंगामा
शनिवार को संभावितों की सूची जारी होने के बाद जबलपुर में हलचल मच गयी। सूची में अपना नाम न होने वाले चेहरों ने सक्रियता दिखाई और अपने आका को वादा याद दिलाया। आका ने भी भोपाल फोन उठाया और दबाव बढ़ा दिया। उधर, निर्णय लेने की स्थिति में फिर से विराम लग गया और मामला अटक गया। हर वक्त अपने-अपने गुट के लोगों से अपडेट लेते रहे और देते रहे।
-तीन हिस्सों में जारी होगी लिस्ट
पार्टी सूत्रों के मुताबिक मप्र की सूची दो से तीन हिस्सों में आ सकती है। सोमवार को 35 से 40 जिलों के अध्यक्षों के नाम घोषित होने की संभावना है। जिन जिलों में अभी सहमति नहीं बन पाई है, उनके नामों पर दोबारा मंथन के बाद अलग से जारी किया जाएगा। छग और हिमाचल ने रविवार को जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी। मप्र में कहा गया था कि 5 जनवरी तक जिलाध्यक्ष बना दिए जाएंगे, लेकिन बड़े नेताओं के करीबियों को लेकर बने दबाव ने उलझन बढ़ा दी है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर एक प्राइवेट एजेंसी से हर जिले के पैनल में शामिल नेताओं की प्रोफाइलिंग कराई है। इसमें उनके निवास स्थान के आस-पड़ोस में छवि, आपराधिक पृष्ठभूमि समेत कई जानकारियां हैं।
-किसी को कुछ नहीं मालूम
एक अजब बात सामने आ रही है कि ेभाजपा के बड़े नेताओं का भी यही कहना है कि उन्हें कुछ नहीं मालूम, जबकि वे भोपाल में चल रही गतिविधियों का लगभग सीधा प्रसारण प्राप्त कर रहे हैं। जबलपुर में दो दिग्गजों के बीच खिंची सियासी तलवारों के कारण अब कोई भी नेता खुलासा करने या संभावना व्यक्त करने का जोखिम भी नहीं लेना चाहता। हालाकि, एक-दो दिन में सारी तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी,लेकिन तब तक सब सांस रोककर बैठे हैं

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