जबलपुर ,,,याचिका मैं कहा गया था कि जितने भी पद लैब टेक्निशियनों के निकाले गए हैं उनका 10 फ़ीसदी आरक्षण ईडब्ल्यूएस(EWS RESERVATION) सीटों पर रूप में किया जाए । याचिका के विरुद्ध में शासन की ओर से नियुक्त विशेष अधिवक्ता ने अदालत में तर्क रखा और बताया कि संविधान के अनुच्छेद 16(6) और 15(6) की गलत व्याख्यान करके अन्य भर्तियों में सामान्य प्रशासन विभाग ने रोस्टर जारी कर दिया है ,,जबकि संविधान के तहत 10 फ़ीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने का जो फार्मूला होना चाहिए वह बची हुई अनारक्षित सीटों के पैमाने पर ही होना चाहिए । याने उदाहरण के तौर पर 100 सीटों पर नियुक्तियां निकली है तो 16 प्रतिशत आरक्षण एससी वर्ग को जिसके मुताबिक कुल पद 16 ,,, 20 फीसदी आरक्षण एसटी वर्ग को जिसके तहत कुल आरक्षित सीट 20 ,,, और 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी वर्ग को जिसके मुताबिक कुल 27 सीट ओबीसी वर्ग को और शेष 37 फीसदी अनारक्षित वर्ग की सीट बाकी रहेंगी। संविधान के प्रावधानों के तहत बची हुई 37 फीसदी अनारक्षित सीटों में से ही 10 फ़ीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण का पैमाना निकाला जाएगा जो कुल चार सीटों का होगा। इस लिहाज से उदाहरण पेश करते हुए यह स्पष्ट कर दिया गया है की 10 फ़ीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ बची हुई अनारक्षितवर्ग की सीटों के पैमाने से ही किया जाएगा। हाई कोर्ट के अहम और बड़े फैसले के बाद अब मध्य प्रदेश के अलग-अलग विभागों में जो गलत रोस्टर के आधार पर भर्तियाँ की गई हैं अब उन पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं । यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि आने वाले दिनों में इन तमाम नियुक्तियों को भी कटघरे में रखा जाए और इस दूषित कार्रवाई के खिलाफ न्यायालय की शरण में भी कई अभ्यर्थी आ सकते हैं। हाई कोर्ट के आदेश के साथ उन तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है जिसमे 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस आरक्षण को अनारक्षित वर्ग के तुलना में दिए जाने को चुनौती दी थी।
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