मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार 195 छात्रों को मिलेंगे सवा दो लाख
मध्य प्रदेश के कटनी जिला के कलेक्टर अवि प्रसाद द्वारा निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि तथा अभिभावकों को निजी प्रकाशन की किताबें खरीदने के लिए बाध्य करने वाले निजी स्कूलों के प्रबंधन के विरुद्ध कार्रवाई की गई कार्यवाही का अब तक व्यापक असर दिखने लगा है !
कलेक्टर द्वारा छात्राओं और अभिभावकों के हित में मध्य प्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम एवं नियम के तहत निजी स्कूल नालंदा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झीझरी को दिए गए नोटिस के बाद अब शाला प्रबंधन 195 विद्यार्थियों से अधिक फीस के रूप में वसूली की गई करीब सवा दो लाख रुपये की राशि वापस करने जा रहा है!
यह प्रदेश का ऐसा पहला मामला है जहां कोई निजी स्कूल प्रबंधन जिला प्रशासन की सख्त कार्रवाई के कारण विद्यार्थियों से फीस के नाम पर अधिक वसूली गई बड़ी राशि वापस करेगा !
कटनी कलेक्टर ने इस स्कूल द्वारा मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस नियम का उल्लंघन पाया है और स्कूल प्रबंधन पर ₹200000 का जुर्माना भी लगाया है!
प्रदेश के इतिहास में यह पहला प्रकरण है जब किसी कलेक्टर द्वारा की गई सख्ती के बाद किसी निजी स्कूल प्रबंधन को अभिभावकों से ली गई अधिक फीस की राशि वापस करने का सख्त आदेश दिया गया है !
गौरतलब है की फीस के तौर पर शाला प्रबंधन द्वारा वसूले गए करीब ₹12000 तक की अधिक फीस कई अभिभावाको को वापस मिलेगी!
नियमानुसार यदि किसी निजी विद्यालय द्वारा प्रस्तावित फीस संरचना पिछले शैक्षणिक सत्र की फीस की तुलना में 10% अधिक है किंतु 15% या उससे काम है तो जिला समिति से अनुमोदन करवाना अनिवार्य है साथ ही पिछले सत्र की फीस की तुलना में यदि 15% से अधिक की बढ़ोतरी की जाती है तो जिला समिति के माध्यम से राज्य समिति से अनुमोदन प्रावधान है !
इन दोनों ही नियमो का उलन्घन कर नालंदा उच्चतर माध्यमिक शाला झिन्झिरी के प्रबंधन द्वारा उल्लंघन किया गया है कलेक्टर अभी प्रसाद की अध्यक्षता वाली जिला समिति के समक्ष नालंदा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झिन्झिरी के प्राचार्य ने सत्र 2021. 22 में छात्रों से 10ः से अधिक फीस की वृद्धि वसूली की गई राशि संबंधित छात्राओं को वापस करने का वचन दिया है !
शाला प्राचार्य ने बताया कि 195 विद्यार्थियों से अधिक फीस के तौर पर वसूले गए 2 लाख 15835 रुपए की राशि शीघ्र ही छात्राओं को वापस कर दी जाएगी!
कलेक्टर द्वारा छात्रों एवं अभिभावकों के हित में उठाया गया ये कदम एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है है और अभिभावकों ने राहत की सांस ली है !