महापुरुषों ने समय समय पर दिया समरसता का संदेश
दशम गुरु गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर समरसता सेवा संगठन ने किया विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन
महापुरुषों ने समय समय पर दिया समरसता का संदेश
दशम गुरु गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर समरसता सेवा संगठन ने किया विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन
जबलपुर। सिख पंथ के दशम गुरु गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर समरसता सेवा संगठन द्वारा मुख्य अतिथि डॉ जितेंद्र जामदार, मुख्य वक्ता व्यखायता डॉ पूनम मिश्रा, विशिष्ठ अतिथि गुलशन मखीजा, समरसता सेवा संगठन अध्यक्ष श्री संदीप जैन की उपस्थिति में विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन श्रीराम मंदिर मदनमहल में किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ जितेंद्र जामदार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा भारत पर जितने आक्रमण हुए उनमें से 90 प्रतिशत उत्तर पश्चिम से हुए। शक, कुषाण, हूण मुगल, पुर्तगाली, अंग्रेज ने बार बार भारत पर आक्रमण किया क्योंकि यह पुण्य और उपजाऊ भूमि सिर्फ और सिर्फ भारत में रही है इसीलिए पूरे विश्व को नजरे हमारे देश में रही है। पांच नदियों का स्थल जिसे हम पंजाब कहते है वहां की केवल भूमि उपजाऊ नही बल्कि वहां वीर योद्धा भी पैदा हुए। भारत में स्वतंत्रता की क्रांति तो बहुत पहले हुई परन्तु दिल्ली पहुंचते पहुंचते 500 वर्ष लग गए और लंबे कालखंड में हम परातंत्र रहे है। उत्तर भारत में हमारे गुरुओं ने देश की रक्षा के लिए कार्य किया। उनमें से ही दशम गुरु हुए गोविंद सिंह जी हुए जिनके पराक्रम से हम सभी परिचित है और उन्होंने इस देश को पराक्रम और बलिदान की नई दिशा दी।
मुख्य वक्ता डॉ पूनम मिश्रा ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा वास्तव में समरसता जिस देश में होती है उस देश का विकास तेजी से होता हैं वैदिक काल से भारत वर्ष ने उदार वादी नीति ही अपनाई है। हमारे महापुरुषों, देवियों ने समरसता का संदेश समय समय पर दिया है और हम भी उसको लेकर आने का प्रयास कर रहे है और आने वाली पीढ़ियां भी एक भाव से समरस हो ऐसा इसके लिए हम आज काम कर रहे है।
उन्होंने कहा गुरु गोविंद सिंह जिनकी माता गुजरी और पिता गुरु तेग बहादुर सिंह से राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा ली और 9 वर्ष की आयु में अपने पिता के कटे सिर को देखने के बाद उनकी बहादुरी को अपने जीवन में आत्मसात करते हुए न केवल खालसा पंथ की स्थापना की अपितु अपनी वाणी, कर्म, वचन, शैली से भारत देश के वीर योद्धाओं को एक करने का कार्य किया। दशम गुरु गोविंद सिंह जी ने स्वयं तो देश के लिए बलिदान दिया साथ थी अपने चार पुत्रों का बलिदान भी दिया ऐसे वीर योद्धा परम ज्ञानी को नमन है।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री गुलशन मखीजा ने कार्यक्रम को संबोधित किया।
कार्यक्रम की प्रस्तावना और स्वागत उद्बोधन सचिव उज्ज्वल पचौरी ने व्यक्त किया।
संगठन वक्ता के रूप में राज भटनागर ने गुरु गोविन्द सिंह जी के जीवनकाल पर विचार व्यक्त किए।
सम्मान :- कार्यक्रम के दूसरे चरण में सरदार अमरजीत सिंह, इंद्रपाल गोगी, सरदार कुलवीर सिंह, सरदार रणजीत सिंह, सरदार दविंदर सिंह, सरदार सतनाम सिंह राणा, अमरजीत सिंह धनजर, सरदार आरएस चाना, अमरजीत सिंह चड्डा, कर्नल सिंह छाबड़ा, मनप्रीत सिंह काके आनंद, सरदार रामिंद्र सिंह, अजीतपाल सिंह, सरदार परमवीर सिंह का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन धीरज अग्रवाल एवं आभार श्रीकान्त साहू ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर शरद चंद्र पालन, पं ब्रजेश दीक्षित, डॉ केसी सोनकर, जगदीश चोहटेल, रामबाबू विश्वकर्मा, अभिमन्यु जैन, रघुवर कपूर, चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव, विष्णु अग्रवाल, सुनील जैन, डॉ धनंजय नागेश, संतोष राठौर, नवीन हांडा, आलोक पाठक, बिट्टू राय, रजनी कैलाश साहू, पं द्वारका प्रसाद मिश्रा, देशेराज कनोजिया, जागृति शुक्ला, कल्पना तिवारी, प्रीति त्रिपाठी, प्रदीप पटेल, प्रशांत दुबे आदि उपस्थित थे।