गुरू की भक्ति रस में समा जाने वाले को ही इतिहास अपने पन्नों में जगह देता है: मुनि विरंजन सागर जी

एक आत्यात्मिक शिक्षा देने वाले होते है और दूसरे शिक्षक जो आपकों स्कूल कॉलेजों में शिक्षा देते है

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जबलपुर । 108 उपाध्याय विरंजन सागर मुनिराज द्वारा आज शिक्षक दिवस पर प्रवचन के माध्यम से सभी श्रावकजनों को आज शिक्षक दिवस के दिन शिक्षकों की कार्यशैली के विषय में बताया। उन्होंने श्रावकों एवं बच्चों को शिक्षकों के बारे में बताया।

मुनिराज ने शिक्षक दो प्रकार के होते है। एक आत्यात्मिक शिक्षा देने वाले होते है और दूसरे शिक्षक जो आपकों स्कूल कॉलेजों में शिक्षा देते है। सनातन संस्कृति में शास्त्रों के अनुसार दोनों ही शिक्षकों अपनी अपनी जगह बड़ी पदवीधारी होते है। मुनिराज कहते है हमें आप गुरू के रूप में पूजते है जो आपकों आध्यात्म धर्म की शिक्षा देते है। आप दूसरी ओर देखेगे तो वह शिक्षक आते है जो आपको शिक्षा के क्षेत्र में हर विषय का अध्ययन कराते है जिससे आप समाज में अपना स्थान बनाए और साथ ही साथ धर्म को भी बढ़ने में मदद करें। शिक्षक द्वारा जो शिक्षाएँ दी जाती है उसका कोई मोल नहीं होता है। वह अनमोल होती है।

मुनिराज विरंजन सागर कहते है कि श्रावकजनों आज से आप अपने बच्चों को समझाऐं कि आपको शिक्षक जिसने आपको पढाया है आपको विद्या का अनमोल दान दिया है वह कहीं भी आपको मिल जाए तो तत्काल उसके चरणों में झुककर प्रणाम कर उसे नमन करने की शिक्षा दें। यह हमारी सनातन संस्कृति धर्म शास्त्रों में कहती है कि गुरू की महिमा वरनी न जाए गुरू नाम जपो तुम बार बार।

मुनिराज ने श्रावको से कहा कि गुरू की भक्ति रस का भरपूर आनंद ले जैसे लव कुश ने लिया, एकलव्य, कर्ण, अर्जुन और अनेक चक्रवर्ती राजाओं ने लिया। यदि यह गुरू की भक्ति न करते तो इतिहास कभी भी इनको याद न करता ।

मुनिराज ने श्रावकजनों से कहा कि आजकल सुनने में आता है कि शिक्षक बच्चों को डॉट या मार नहीं सकते क्योंकि उनके माता पिता शिक्षक पर कानूनी कार्यवाही कर देते है। श्रावकजनों यह हमारे शास्त्रों के खिलाफ है। अगर गुरू अपने छात्रों के साथ सख्ती नहीं करेगा तो वह उसका जीवन सांवरेगा कैसे मुनिराज कहते है कि आप यह जान लीजिए जो पत्थर चोट खाता है वह मूर्ति का रूप लेता है, आप शिक्षकों के कार्यों में हस्ताक्षेप करते है तो उसका परिणाम हमें आज के बच्चों में देखने को मिल रहा है, आज हमारे बच्चें संस्कारहीन होते जा रहे है। मुनिराज ने कहा कि हम आज अपने बच्चों भविष्य संवारना है तो गुरु के कार्यों में कोई भी हस्ताक्षेप नहीं करना होगा। तभी आपको संस्कारी बच्चा मिलेगा।

मुनिराज कहते है कि आज का दिन शिक्षक दिवस का दिन है मैं सभी बच्चों से कहता हूँ कि आज आप प्रण लें कि हम अपने धर्म गुरूओं और अपने स्कूल कॉलेजों के शिक्षक का हमेशा सम्मान करेगे। उन्हें पलटकर गलत जबाव सवाल नहीं करेगे जिससे उसके मन को ठेस पहुंचे। सही मायने में यह आपकी गुरू दक्षिणा होगी।

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