कायदे दरकिनार, झूठे विज्ञापनों के दम पर प्लॉटिंग का अवैध कारोबार
आम आदमी के अपने घर के सपने से बिल्डर किस तरह खिलवाड़ कर रहे हैं
कायदे दरकिनार, झूठे विज्ञापनों के दम पर प्लॉटिंग का अवैध कारोबार
संचार माध्यमों का दुरुपयोग कर आम आदमी को ठग रहे फर्जी बिल्डर,सुविधाओं के नाम पर सिर्फ ब्रोशर और पम्पलेट,हकीकत में रो रही है जनता,कार्रवाई करने वालों को फुरसत नहीं
जबलपुर। आम आदमी के अपने घर के सपने से बिल्डर किस तरह खिलवाड़ कर रहे हैं,इसके अनगिनत उदाहरण पूरे शहर में दिखाई दे रहे हैं,लेकिन हैरत की बात ये है कि कुकुरमुत्तों की तरह पैदा हो रहे इन बिल्डरों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है। जिम्मेदार विभागों और अधिकारियों ने खामोशी से इस अवैध गतिविधियों को स्वीकार कर लिया है। अधिकांश बिल्डर ना तो रेरा का रजिस्टे्रशन करा रहे हैं और ना ही अन्य अनुमतियां ले रहे हैं। नियम तो है कि बिना रेरा से अनुमति लिए बिना बिल्डर अपने प्रोजेक्ट का संचार माध्यमों के जरिए प्रचार कर रहे हैं और आम आदमी को ठग रहे हैं। पब्लिक संचार माध्यमों पर यकीन करके प्लॉट-मकान खरीद लेती है,लेकिन असल में उनकी वैधता नहीं होती।
-धड़ल्ले से खा रहे गरीबों का हिस्सा
शहर में अवैध कॉलोनियां लगातार पैर पसारती रहीं है और सिस्टम मूक दर्शक बना हुआ है। अवैध कालोनियां बसाने वालों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए प्लॉट भी सुरक्षित नहीं रखे। कॉलोनी क्षेत्र में न तो उद्यान बनाए और न ही खेल मैदान के लिए जगह छोड़ी। सामुदायिक भवन निर्माण के लिए भी भूमि का प्रावधान नहीं किया। भूमि विकास नियम के प्रावधानों के अनुसार कुल जनरल प्लॉट यानी की उद्यान, कॉमर्शियल प्लॉट, सामुदायिक भवन का भूखंड छोड़ने के बाद जो प्लॉट बचते हैं उनके 9 प्रतिशत प्लाट ईडब्ल्यूएस कोटा में आरक्षित रखे जाने चाहिए। इसके साथ ही 6 प्रतिशत प्लॉट एलआईजी के लिए आरक्षित होने चाहिए लेकिन अवैध कॉलोनाइजरों ने एक-एक इंच जमीन का सौदा कर दिया।
-असुविधाओं में फंसाकर हो रहे रफूचक्कर
प्रॉपर्टी डीलर, बिल्डरों ने अवैध कॉलोनी तो बसाकर छोड़ दीं, लेकिन उनमें मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गईं। इन कॉलोनियों के रहवासी अब सड$क, बिजली, पानी, ड्रेनेज के निर्माण के लिए पार्षदों से लेकर विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों का दरवाजा खटखटाते हैं। सरकारी फंड से इन कॉलोनियों में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है। यानी बिल्डर यहां प्लॉट बेचकर करोड़ों कमाने के बाद अपनी जिमेदारियों से मुक्त हो गए और सरकारी सिस्टम पर ही अवैध कालोनियों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का बोझ पड़ रहा है।
-गर्मी में जलसंकट, बारिश में जलभराव
शहर में जहां-तहां अवैध कॉलोनियां लोगों को खून के आंसू रुला रही हैं।
गोहलपुर, माढ़ोताल, मानेगांव, पुरवा, गढ़ा, अमखेरा से लेकर जिन भी इलाकों में अवैध कॉलोनियों की सख्ंया है। ये इलाके गर्मी के दिनों में बड़े जल संकट से जूझते हैं। बरसात के दिनों इन क्षेत्रों की अवैध कालोनियों में जलभराव की बड़ी समस्या हो जाती है। अमखेरा, करमेता, मानेगांव क्षेत्रों में लोगों के घरों में कई फीट तक जलभराव हो जाता है। दरअसल बिल्डरों ने इन कॉलोनियों में न तो पेय जल के लिए नियमानुसार टंकियां बनाईं और न ही वर्षा जल निकासी के लिए उपयुक्त ड्रेनेज सिस्टम ही तैयार किया है। इसके कारण इन क्षेत्रों में जलभराव बड़ी समस्या बनी हुई है।