दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

उच्च शिक्षा में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली का प्रभाव एवं महत्व विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

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जबलपुर

मंगलायतन विश्वविद्यालय जबलपुर एवं विज्ञान और तकनीकी शब्दावली आयोग, उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में ‘उच्च शिक्षा में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली का प्रभाव एवं महत्व’ विषय पर मंगलयान विश्वविद्यालय जबलपुर में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर के किया गया। तत्पश्चात विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा कुलगीत प्रस्तुत किया गया ।कार्यक्रम के प्रारंभ में मंगलयान विश्वविद्यालय जबलपुर की उप कुलपति प्रो विनीता कौर सलूजा के द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा अर्जित किए गए कीर्तिमान एवं सम्मेलन को आयोजित करने के उद्देश्य पर प्रकाश डाला गया। इसके पश्चात विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर के.आर.एस संबाशिवा राव ने अतिथियों का स्वागत शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर भारत शरण सिंह जी की गरिमामयी उपस्थिति रही। ‘आपने आयोजनकर्ताओं को शुभकामनाएं प्रेषित की, आपने वैज्ञानिक एवं तकनीकी आयोग का मूल कार्य पूरे देश में वैज्ञानिक एवं तकनीकी भाषा के अध्ययन को उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं में शब्दावली का निर्माण करते हुए सरल बोधमय संप्रेषणीय बनाना है। इसके लिए आयोग पिछले 60से अधिक वर्षों से कार्य कर रहा है।इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए जिससे समाज को एक नई दिशा मिलती रहे, और हिंदी का उत्तरोत्तर विकास होता रहे। वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के इंजीनियर एम.एल. मीणा ने भी आयोग के कार्यों की प्रशंसा की उन्होंने कहा, कि आयोग का मूल कार्य शब्दों का निर्माण करते हुए ,उन्हें आम चलन में लाना है, जिसके लिए वे संगोष्ठीयों व कार्यशाला का आयोजन करते हैं ।शब्दावली के निर्माण को बोधमय बनाने के लिए वे विश्वविद्यालय के प्रबुद्ध विद्वानों का सहयोग लेकर शब्दावली के सटीक निर्माण की दिशा में कार्य कर रहे हैं।’
उद्घाटन सत्र के पश्चात्
राष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्रों को दो भागों में विभाजित किया गया ।कार्यक्रम के प्रथम सत्र की अध्यक्षता मुख्य वक्ता प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडे, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय ,उज्जैन ने की । उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि तकनीकी शब्दावली का महत्व भारतीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए। अध्यापन के समय शिक्षकों को हिंदी भाषी क्षेत्रों से आने वाले छात्रों को हिंदी भाषा की पुस्तकों का संदर्भ भी जरूर बताना चाहिए। उनका कहना था कि तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दों के प्रयोग को आम बोलचाल में शामिल किया जाना चाहिए ।, साथ ही फार्मेसी विभाग के प्राध्यापक डॉ विकास पांडे ने ‘फार्मेसी में तकनीकी शब्दावली के निर्माण पर प्रकाश डाला।’ विधि विभाग की सुश्री वृतिका पांडे ने ‘विधि क्षेत्र में पारिभाषिक शब्दावली के महत्व विषय पर प्रकाश डाला।’
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर एस.एस संधु डायरेक्टर ,डी.आई. सी ,रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर ने ‘वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली का प्रबंधन और संरक्षण खासकर बौद्धिक संपत्ति के लिए’विषय पर व्याख्यान दिया। इसके पश्चात प्रोफेसर विवेक मिश्रा विभाग अध्यक्ष राजनीति विज्ञान रानी दुर्गावती विद्यालय जबलपुर ने शोध ज्ञान के माध्यम से हिंदी के परिभाषित शब्दावली के व्यावहारिक ज्ञान पर प्रकाश डाला। डॉ राकेश कुमार पांडे डायरेक्टर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल, ने ‘नई शिक्षा नीति और आयोग की उपलब्धियों के विषय में विस्तृत जानकारी दी।’विश्वविद्यालय के प्राध्यापको ने भी पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली के प्रभाव एवं महत्व विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ आशीष मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ बी.एस. नागा किशोर, निदेशक डॉ आशुतोष सक्सेना , संगोष्ठी संयोजक डॉ स्वाती सक्सेना,
उप कुलसचिव डॉक्टर वंदना तिवारी ( सहसंयोजक), कृषि संकायाध्यक्ष डॉ. एस.पी तिवारी,डॉ नीरज प्रकाश राय, डॉ दिनेश मिश्रा , डॉ इति गोटिया, डॉ नीता दीपावरे, डॉ विकास पांडे आदि बड़ी संख्या में प्राध्यापक गण एवं छात्र एवं छात्राएं थे।

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