हर प्लेटफार्म पर अवैध वेंडरों की दस्तक

कोई भी कहीं से भी कुछ भी गुणवत्ता ही खाना यात्रियों को लाकर बेच रहा है।

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मनमानी से बेच रहे गुणवत्ताहीन खाना एक तरफ ट्रेनों में तो दूसरी तरफ प्लेटफार्म पर हर तरफ अवैध वेंडर की दस्तक बढ़ती जा रही है। कोई भी कहीं से भी कुछ भी गुणवत्ता ही खाना यात्रियों को लाकर बेच रहा है। अपनी पूरी मनमानी के साथ यह रोज ऐसा ही करते आ रहे हैं, और जिम्मेदारों को भी यह सब मालूम है लेकिन कार्रवाई करने की वजह वह सब भी इनके साथ मिलकर अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं। कोई वेंडर बिना बैच और ड्रेस के सामान बेच रहा है, तो कोई पानी के बोतल और अन्य खाद्य सामग्री ट्रेनों में लेकर घूम रहा है। लेकिन जिम्मेदार इनको पकड़ नहीं पा रहे हैं।
ठंड के मौसम में वंडर्स कुछ ज्यादा ही इस समय फायदा उठा रहे हैं और उनकी जांच तक नहीं हो रही है। अंडा बिरयानी बोले के साथ बिकने वाले चावल की क्वालिटी भी इतनी खराब होती है की मुसाफिर इसे खा ले तो उनकी भूख ही मर जाए। कुछ दिनों पहले कमर्शियल विभाग की टीम ने दबिश देकर कई अवैध वेंडर्स को पकड़ा था, लेकिन इन दोनों करवाई काफी धीमी गति से हो रही है। जिसके कारण अवैध वेंडर्स एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। स्टेशन पर इसे खाना की पैकेट खरीद कर खाने वाले कुछ यात्रियों ने बताया कि कीमत तो पूरी वसूल करते हैं या लेकिन खाने में कोई स्वाद नहीं रहता। और जल्दबाजी के कारण इनकी शिकायत भी करें तो कहां पर करें। यह अवैध वेंडर सभी प्लेटफॉर्मों में और हर ट्रेनों में सकरी रहते हैं। और सुबह से शाम तक इनका यहां पर आने का सिलसिला ऐसे ही चलता रहता है, जैसे इन्हें यहां पर कोई रोकने रोकने वाला हो ही नहीं।
क्या बिक रहा, कौन बेच रहा यहां पर इन अवैध वेंडर्स की उपस्थिति खुद बता रही है कि यहां इन्हें रोकने रोकने वाला कोई नहीं है। कौन अधिकृत वेंडर है कौन नहीं कौन क्या बेच रहा है यह सब कोई देखने वाला नहीं है। ट्रेनों से लेकर स्टेशन तक कौन-कौन वेंडर सामग्री बेच रहे हैं इसकी जांच होनी चाहिए। ताकि पता चल सके जो खाना बेचा जा रहा है वास्तव में वह खाने योग्य है भी या नहीं। देखने में आया है कि जो आलू बंडा समोसा या फिर इडली बेची जाती है वह सुबह से लेकर शाम तक बस गर्म करके ही मुसाफिरों को भेज दी जाती है। जबकि 12 से 24 घंटे तक हो जाते हैं लेकिन मुसाफिर इनको गम समझकर खा लेते हैं।
रास्ता बदल लिया है ट्रेनों और प्लेटफार्म पर आने के लिए अब इन अवैध वेंडर्स ने अपना रास्ता ही बदल लिया है। यह सीधे प्लेटफार्म पर ना आकर आउटर से ट्रेन और प्लेटफार्म पर पहुंच रहे हैं। जिससे सुरक्षा एजेंसियों की नजर में यह सब नहीं आ पाते। और फिर जैसे ही ट्रेन स्टेशन से चलती है वैसे ही आगे फिर आउटर पर उतर जाते हैं। फिर कोई ट्रेन आती है तो उसमें भी चढ़कर फिर स्टेशन तक पहुंच जाते हैं।

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