कुनतो मौला फ-हाज़ा अलीयुन मौला

जिस जिस का मैं मौला उस उस का अली (अ.स.) मौला

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पैगम्बर मोहम्मद (स.अ.व.स.) जिस वक्त हज करके वापस लौट रहे थे तो उस वक्त रास्ते में एक जगह पड़ती है जिसका नाम था खुम (जिसे अब अल जोहफा के नाम से जाना जाता है) वहां एक लाख से ज़्यादा सहाबा के बीच नबी (स.अ) ने खुदा के हुकुम से हज़रत अली अ.स. (जो उनके चाचा ज़ात भाई और दामाद भी थे) को अपना जानाशीन बताया।

उन्होंने(स.अ) कहा था कि अली (अ,स.) का दोस्त मेरा दोस्त है..और जो इनसे दुश्मनी करेगा वो मुझसे दुश्मनी करेगा।और जिसने मुझसे दुश्मनी की यानि उसने खुदा से दुश्मनी रखी। ये पूरा वाक्या 18 ज़िल्हिज्ज को हुआ था,जिसके बाद से सभी वहां मौजूद लोगों ने अली (अ.स.) को मुबारक बाद दी।इसमें खुद सहाबी हज़रत उमर, उस्मान भी मौजूद थे, जिन्होंने भी हज़रत अली अ.स.को मुबारकबाद दी।तो इसलिए आज 18 ज़िलहिज्जा है जो इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक साल का आखिरी महीना होता है,तो अब इसलिए अपने नबी (स.व.स.) की कही गई बात को मानते हुए सभी ईद ए ग़दीर की मुबारक बाद पेश करते हैं,क्योंकि नबी (स.अ.) की क़ौल खुदा की बात होती है।और हज़रत अली अस की विलायत के ऐलान के बाद ही ख़ुदा ने कहा कि अब दीन मुकम्मल हुआ।

देखा जाए तो इस्लाम दीन ही पूरा न होता अगर ये दिन न होता क्योंकि इसी दिन इस्लाम मुकम्मल हुआ था। इस हिसाब से मुसलमान के लिए सबसे बड़ी ईद आज यानी ईद ए ग़दीर है।इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, ग़ुस्ल करते हैं,खुशबू लगाते हैं अपने बच्चों, समेत दूसरे लोगों को ईदी देते हैं, साथ ही इस दिन ज़ोहर की नमाज़ से पहले आमाल भी होते हैं और नमाज़ भी। इस दिन मुस्लिम रोज़ा भी रखते है.और खुशियां मनाते हैं।

इसी तारतम्य में जबलपूर शिया समाज द्धारा बड़े धूमधाम से गलगला स्थित शिया इमामबाड़े में जशने विलायत की महफ़िल आज रात्री 8:30 बजे श्री अबरार हुसैन एवं फीजू भाई के संयोजन मे आयोजित होने जा रही है जिसने शहर के जाने माने शायर हज़रात और मनकबत ख्वां हज़रात अपने अपने कलाम पेश करेंगे जशन का संचालन मौलाना मोहम्मद अली जाफरी करेंगे। साथ ही स्व. महबूब रिजवी की याद में इनामात तकसीम होंगे महफिल में तमाम शिया बंधु एवं विलायत का अकीदतमंदों से शिरकत की अपील संयोजक बंधु ने की है इस मौके पर सभी को मुबारकबाद भी पेश की है
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*जशने एलाने ए विलायत अमीरुल मोमिनीन अली इब्न अबी तालिब (अ.स)
वा मौका ए गादीर ए ख़ुम*

24 जून रात 10 बजे गाज़ी बाग रद्दी चौकी में महफिले शिमा का प्रोग्राम रखा गया है जिसमे कवाल साहब अली वारसी अपना सूफियाना कलाम पेस करेंगें तमाम अक़ीदत मांद हज़रत से सिरकत की गुज़ारिश हैं
अपील करता गादीर ए ख़ुम कमेटी जबलपुर म प्र
इमरान पोशाक सहाब से बताया
पैगाम ए अली (अ.स ) वतन से मोहब्बत ईमान की निशानी है : हज़रत अली(अ.स.).
सभी इंसान या तो तुम्हारे धर्म भाई हैं या फिर इंसानियत के रिश्ते से भाई हैं | हजरत अली (अ.स) सभी से शिरकत की गुजारिश की गई है

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