संस्कारों के िबना जीवन का कोई मूल्य नहीं: देवकीनंदन ठाकुर

पाटन के पवईधाम अमरपुर में श्री शिवसमाराधन महायज्ञ द्वितीय दिवस उमड़े श्रद्धालु

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जबलपुर।मनुष्य जीवन आदमी को बार-बार नहीं मिलता है, इसलिए इस कलयुग में मानव दया, धर्म भगवान के स्मरण से ही सारी योनियों को पार करता है। यह विचार वृंदावन धाम से पधारे विश्व विख्यात कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने पवई धाम पाटन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस व्यक्त किए ! उन्होंने बताया कि, भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया। शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग बताते हुए कहा कि, यह पवित्र संस्कार है, लेकिन आधुनिक समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है, ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए।
शिव विवाह की कथा का वर्णन
महाराज श्री ने कहा िक जब सती के विरह में भगवान शंकर की दशा दयनीय हो गई, सती ने भी संकल्प के अनुसार राजा हिमालय के घर पर्वतराज की पुत्री होने पर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती जब बड़ी हुईं तो हिमालय को उनकी शादी की चिंता सताने लगी। एक दिन देवर्षि नारद हिमालय के महल पहुंचे और पार्वती को देखकर उन्हें भगवान शिव के योग्य बताया। इसके बाद सारी प्रक्रिया शुरू तो हो गई, लेकिन शिव अब भी सती के विरह में ही रहे। ऐसे में शिव को पार्वती के प्रति अनुरक्त करने कामदेव को उनके पास भेजा गया, लेकिन वे भी शिव को विचलित नहीं कर सके और उनकी क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। इसके बाद वे कैलाश पर्वत चले गए। तीन हजार सालों तक उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की। इसके बाद भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ। कथा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती के पात्रों का विवाह कराया गया। कथा के बीच में भगवान शिव-पार्वती की आकर्षक झांकी सजाई गई। कथा में सुनाए गए भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। व्यासपीठ का पूजन मुख्य यजमान पं. जितेन्द्र पचौरी, आयोजन अध्यक्ष हरिकृष्ण पचौरी, कोषाध्यक्ष श्याम मनोहर पचौरी, आयोजन प्रभारी सर्वेश पटेल, यज्ञ यजजमान राकेश पाण्डे बाम्बे, डॉ राजेश पचौरी ने किया।

नर्मदा शुद्धिकरण के लिए महायज्ञ

कथा के पूर्व स्वामी महेंद्रानंद महाराज ने कहा कि मानव जीवन के लिए अनाज, वायु और जल की आवश्यकता होती हैl यह सभी वर्तमान परिस्थितियों में अशुद्ध होते जा रहे हैंl इस महायज्ञ का उद्देश्य मां नर्मदा का शुद्धिकरण हैl इसके लिए अभियान चलाया जा रहा हैl हम प्रदेश सरकार से अपील करते हैं कि मां नर्मदा में मिलने वाले नालों का पानी बंद किया जाएl कुछ स्थानों पर ट्रीटमेंट कर पानी नर्मदा जी में प्रवाहित किया जा रहा है, यह पानी भी अशुद्ध हैl नर्मदा की निर्मलता को बनाए रखने के लिए वैकल्पिक नाला बनाकर उन्हें जंगलों में छोड़ा जा सकता हैl इससे मां नर्मदा प्रदूषण होने से बच सकते हैंl यज्ञ के तीसरे दिन ऋषभ देव महाराज के सानिध्य में श्री शिव समरधान महायज्ञ मैं विविध धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुएl 108 यजमानों ने यज्ञ में आहुतियां दीl पूरा यज्ञ मंडप भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठाl भगवान शिव का अभिषेक पूजन किया गयाl इस अवसर पर ठाकुर उदयभान सिंह, जितेंद्र पचौरी, विष्णु शंकर पटेल, स्वामी महेंद्रानंद जी,राजा शेखर आशीष पचौरी, आनंद मोहन, शिवकुमार गोटिया, बृजेश बादल कृष्ण, शेखर सिंह, राजेश शर्मा, मनोज पटेल, राजेश विश्वकर्मा, रोहित ठाकुर, राकेश पटेल, शंभूनारायण शर्मा, मनोज पटेल, गोविंद सिंह , लक्षजीत पचौरी , सुरेश पचोरी , शिवश्याम पचौरी , दुर्गेश पटेल शायद बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहेl

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