चर – अचर सभी को साथ लेकर चलने का ज्ञान भगवान दत्तात्रेय ने दिया और यह समरसता का भी भाव है

विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ आंनद सिंह राणा ने कहा पश्चिमी देशों के विज्ञान और धर्म को साथ में नही जोड़ा जाता परंतु हमारे सनातन धर्म में धर्म और विज्ञान को साथ ही माना जाता है

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चर – अचर सभी को साथ लेकर चलने का ज्ञान भगवान दत्तात्रेय ने दिया और यह समरसता का भी भाव है

भगवान दत्तात्रेय जी के अवतरण दिवस के अवसर पर समरसता सेवा संगठन ने किया विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन

जबलपुर। समरस भारत – समर्थ भारत के लिये सब सबको जाने – सब सबको माने, एक अभियान के अंतर्गत समरसता सेवा संगठन द्वारा भगवान दत्तात्रेय जी के अवतरण दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि मानस मृगेंद्र शिक्षाविद पं ब्रजेश दीक्षित जी, मुख्य वक्ता इतिहासकार डॉ आंनद सिंह राणा, समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष श्री संदीप जैन की उपस्थिति में विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन रानी दुर्गावती कला वीथिका में किया गया।

विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ आंनद सिंह राणा ने कहा पश्चिमी देशों के विज्ञान और धर्म को साथ में नही जोड़ा जाता परंतु हमारे सनातन धर्म में धर्म और विज्ञान को साथ ही माना जाता है और धर्म और विज्ञान के ज्ञान को एक साथ लेकर चलने का जो ज्ञान हमे मिला वह भगवान दत्तात्रेय ने हमे दिया जिनका आज अवतरण दिवस है। भगवान दत्तात्रेय ने गुरु शिष्य परंपरा के पोषक थे और उन्होंने भगवान परशुराम, कार्तिवीर अर्जुन, स्वामी कार्तिक, भक्त प्रह्लाद ने शिक्षा दी और उन्हें शिष्य माना। आदि योगी सदाशिव को माना जाता है तो प्रथम योगी भगवान दत्तात्रेय को माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय को 24 अवतारों में भी पूजा जाता है।

विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पं ब्रजेश दीक्षित ने कहा सनातन धर्म के तीन गुण है जिन्हे हम सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण के नाम से जानते है और इन तीनो गुणों के देव के रूप में भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव माना जाता है और इनका एक रूप भगवान दत्तात्रेय के रूप में हम पूजते है, उन्होंने माता अनुसुइया के गर्भ से जन्म लिया, उनके पिता पूज्य अत्री ऋषि थे। दत्तात्रेय जी ने बताया कि चर अचर सभी को साथ लेकर सभी से सीखने की आवश्यकता है और यह समरसता का भाव भी है।

कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं स्वागत उद्बोधन संगठन के अध्यक्ष श्री संदीप जैन ने कहा आप सभी के सहयोग और स्नेह से समरसता सेवा संगठन पिछले 20 माह से प्रयास कर रहा है कि ऐसे हमारे आराध्य, महापुरुष और महादेवियो की जन्म जयंती पर ने केवल उन्हे याद करे अपितु उनके विचारों को अधिक से अधिक लोगो तक ले जाए, इन सभी आराध्य महापुरुषों और देवियों ने किसी जाति समाज के लिए नही अपितु सर्व समाज के लिए विचार दिए है किंतु कालांतर में हमने उन्हें जाति समाज में बांट लिया। हमारा प्रयास है कि समरस भारत से समर्थ भारत के निर्माण के उद्देश्य को लेकर सब सबको जाने और सब सबको माने के भाव से हम कार्य कर रहे है, इसी क्रम में आज भगवान दत्तात्रेय जी के अवतरण दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी और प्रतिभा सम्मान समारोह के आयोजन पर आप सभी का स्वागत करता हूं।

कार्यक्रम में संगठन वक्ता के रूप में मनोज सेठ ने उनके जीवन काल पर विचार व्यक्त किए।

सम्मान:- कार्यक्रम के दूसरे चरण में सुरभी मुले, शिल्पा तम्हाने, किशोर तम्हाने, प्रांजलि दीदाहटे, उदय बेडेकर, अजय जयंत बहरे, चिन्मय जोशी, हर्षल पुणतांबेकर, राकेश ताम्हनकर, विट्ठल बेस, विद्वेष भापकर, अभय गोरे, विजय भावे, शरद आठले, हेमंत पोहरकर का सम्मान किया गया।

कार्यक्रम का संचालन राजेश ठाकुर एवं आभार शरद ताम्रकार ने व्यक्त किया।

कार्यक्रम में शरदचंद्र पालन, गंगाचरण मिश्रा, सुरेंद्र राठौर, डॉ यतीश जैन, रामबाबू विश्वकर्मा, आलोक पाठक, संतोष राठौर, ओंकार रजक, संजय गोस्वामी, सुरेश पांडे, गुड्डू अवस्थी, सुशील सोनी, प्रवीण चावड़ा, संग्राम सिंह राठौर, शिशिर सिंघई, प्रवीण पटेल, गजेंद्र राठौर, कुणाल सेन, अरविंद लोधी, प्रदीप कोष्टा, हर्ष सोनी, संजय पांडे, संतोष यादव, नीलिमा देशपांडे, अश्वनी पापरीकर, प्राची पापरीकर, सोनाली पांडे, लीना वाते आदि उपस्थित थे।

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