मिलिए रक्तवीर सरबजीत से , इनकी ज़िंदादिली सैकड़ों को दे रही जीवन

आज भी रक्त देने में लोगों की मानसिकता में झिझकना।

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रक्तदान महादान कहा जाता है । जन सेवा के इस कार्य के लिए कहने को सैकड़ो लोगों की आवाज़ बुलंद तो होती है लेकिन दान देने के वक्त महज़ चंद लोग ही सामने आते हैं ,,,वजह साफ है ,,,आज भी रक्त देने में लोगों की मानसिकता में झिझकना। तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद रक्त देने के लिए लोग एक बार सोचते जरूर है। ऐसे लोगों के लिए जबलपुर के ब्लड डोनर सरबजीत सिंह नारंग न केवल एक सीख है बल्कि मिसाल भी है ,,,जहां 55 साल की उम्र में उन्होंने 160वीं बार रक्तदान किया है ,,,

मिलिए इनसे ये है जबलपुर के ब्लडमैन जिन्हे ब्लड डोनर ऑफ जबलपुर भी कहा जाता है। ….जबलपुर के रांझी क्षेत्र के रहने वाले 55 वर्षीय ब्लड डोनर ऑफ जबलपुर सरबजीत सिंह नारंग ने सबसे पहले सन 1990 में रक्तदान किया था। 21 वर्ष की उम्र में कक्षा 12वीं पढ़ने के दौरान उन्होंने रक्त के बारे में जाना। उस दौरान पड़ोस में रहने वाली एक ज़रूरतमंद का ऑपरेशन होना था जिसमे रक्त की आवश्यकता थी। तब उन्होने पहली बार मेडिकल अस्पताल में रक्तदान किया था। पहली बार रक्तदान कर किसी की जान बचाने का अनुभव जैसे ही सरबजीत को हुआ उस दिन से ही इस नेक मुहिम ने रफतार पकड़ ली।

इसके बाद तीन थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे सामने आए जिन्हें हर 15 दिन में रक्त की आवश्यकता पड़ती थी और समय आने पर उनको ब्लड दिया। इसके बाद सरबजीत ने लोगों की मदद करने के लिए एक ग्रुप बनाया जिसे दिशा वेलफेयर का नाम दिया। अब इस ग्रुप के माध्यम से सरबजीत थैलेसीमिया और सिकिल सेल जैसी बीमारी से पीड़ित 360 बच्चों को निशुल्क ब्लड उपलब्ध करा रहे हैं। इसके अलावा इस ग्रुप के माध्यम से वह थैलेसीमिया और सिकल सेल जैसी बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने का भी काम कर रहे हैं समय-समय पर कैंप लगाना सरकारी योजनाओं का लोगों को लाभ दिलाना और समय-समय पर रक्त और दवाई उपलब्ध कराना जैसे कार्य इस ग्रुप के माध्यम से कर रहे हैं।

सरबजीत का कहना है कि हर व्यक्ति को हर 3 महीने में रक्तदान करना चाहिए क्योंकि थैलिसीमिया पीड़ितों का रक्त ही भोजन है जिसे हर 15 दिन में जरूरत पड़ती है। सरबजीत का कहना है कि ब्लड देने के बहुत सारे फायदे भी हैं जिन्हें जानने और समझने की जरूरत है।

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