गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा मिले

आज राज्यवार देशी गाय की नस्लों की पहचान और पंजीकरण किए जाने की आवश्यकता है। गो माता को हमारी राष्ट्रीय पहचान और गौरव का प्रतीक माना जाता है

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जबलपुर । शकराचार्य स्वमिश्रीः अविमुकेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने पत्रकारवार्ता हेतु प्रकाशनार्थः शकराचार्य स्वमिश्रीः अविमुकेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने गो माता को पशुओं की सूची से मुक्त कर राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए पूरे देश में गो प्रतिष्ठा आंदोलन संचालित किया है उक्त आन्दोलन में जहां देशी भारतीय गाय (बोस इंडिकस- वैज्ञानिक नाम), जिसे आमतौर पर “रामागो / गो माता ” के रूप में जाना जाता है, गो प्राचीन विरासत, सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिस्थितिक महत्व और मुल्य प्राणाली है। आज राज्यवार देशी गाय की नस्लों की पहचान और पंजीकरण किए जाने की आवश्यकता है। गो माता को हमारी राष्ट्रीय पहचान और गौरव का प्रतीक माना जाता है। और जहां रामागो । गोमाता की भलाई की रक्षा और संरक्षण करना आवश्यक है। उसकी गरिमा, सम्मान और सुरक्षा, उपचार सुनिश्चित करना और भी अवश्यक जहां देशी भारतीय गायों की आबादी तेजी से घट रही है कई नस्लें विलपुप्त होने के कगार पर है और जब कि हिन्दू धर्म गायों की पवित्र और पूज्यनीय स्थिति को मान्यता देते हुए, जैसा कि वेदों में रुद्रों की मां, वसुओं की पुत्त्री, आदित्यों की वहन और अमरता की नाभि के रूप में घोषित किया गया है। लेकिन गो हत्या की बढ़ती घटनाओं से जन मानस चिंतित है जो अंहिसा के सिंद्धांतों का उल्लंघन करती है और धर्म निष्ठ हिन्दूओं को भारी परेशानी का कारण बनती है। गायों को नुकसान पहुंचाने के कर्तव्य के रूप में गायो की रक्षा और देख, भाल करने की आवश्यकता है। जैसा कि भगवदगीता 18.44 वे श्लोक में कहा गया है, महाराज ने बताया कि गाय की पूजन की अतिप्राचीन, पौराणिक परंपराओं को कायम रखने और एक ऐसे समाज को बढ़ावा देने की आंकाक्षा है। जो गाय के जीवन की पवित्रता को महत्व देता है, और उसका सम्मान करता है । गार्यों के कल्याण को सुनिश्चित करने उनके शोषण और वध को रोकने और धर्म और कर्म के सिद्धांतों का पालन करते हुए गायों और समाज दोनो को लाभ पहुंचाने वाली स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए व्यापक आय स्थापित करने का लक्ष्य है। भारत के लाखों, करोड़ों लोगों द्वारा गो पूजनीय मानी जाती है और यह प्राचीन काल से भारतीय समाज में अत्याधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है भारत की राष्ट्रीय पहचान और गौरव का प्रतीर माना जाती है। अनुभव की बात है कि गाय और उसके दिलाने के लिए पूरे देश में गो प्रतिष्ठा आंदोलन संचालित किया है उक्त आन्दोलन में जहां देशी भारतीय गाय (बोस इंडिकस- वैज्ञानिक नाम), जिसे आमतौर पर “रामागो / गो माता ” के रूप में जाना जाता है, गो प्राचीन विरासत, सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिस्थितिक महत्व और मुल्य प्राणाली है, आज राज्यवार देशी गाय की नस्लों की पहचान और पंजीकरण किए जाने की आवश्यकता है। गो माता को हमारी राष्ट्रीय पहचान और गौरव का प्रतीक माना जाता है। और जहां रामागो, गोमाता की भलाई की रक्षा और संरक्षण करना आवश्यक है। उसकी गरिमा, सम्मान और सुरक्षा, उपचार सुनिश्चित करना और भी अवश्यक जहां देशी भारतीय गायों की आबादी तेजी से घट रही है कई नस्लें विलपुप्त होने के कगार पर है और जब कि हिन्दू धर्म गायों की पवित्र और पूज्यनीय स्थिति को मान्यता देते हुए, जैसा कि वेदों में रुद्रों की मां, वसुओं की पुत्त्री, आदित्यों की वहन और अमरता की नाभि के रूप में घोषित किया गया है, लेकिन गो हत्या की बढ़ती घटनाओं से जन मानस चिंतित है जो अंहिसा के सिंद्धांतों का उल्लंघन करती है और धर्म निष्ठ हिन्दूओं को भारी परेशानी का कारण बनती है, गायों को नुकसान पहुंचाने के कर्तव्य के रूप में गायो की रक्षा और देख, भाल करने की आवश्यकता है। जैसा कि भगवदगीता 18.44 वे श्लोक में कहा गया है, महाराज ने बताया कि गाय की पूजन की अतिप्राचीन, पौराणिक परंपराओं को कायम रखने और एक ऐसे समाज को बढ़ावा देने की आंकाक्षा है। जो गाय के जीवन की पवित्रता को महत्व देता है, और उसका सम्मान करता है । गार्यों के कल्याण को सुनिश्चित करने उनके शोषण और वध को रोकने और धर्म और कर्म के सिद्धांतों का पालन करते हुए गायों और समाज दोनो को लाभ पहुंचाने वाली स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए व्यापक आय स्थापित करने का लक्ष्य है। भारत के लाखों, करोड़ों लोगों द्वारा गो पूजनीय मानी जाती है और यह प्राचीन काल से भारतीय समाज में अत्याधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है भारत की राष्ट्रीय पहचान और गौरव का प्रतीर माना जाती है। अनुभव की बात है कि गाय और उसकेगोवंश का वध बढ़ा है इस तथ्य के बावजूद संविधान में निहित, नीति निर्देश तत्वों ने राज्यसरकारी पर नस्लों के संरक्षण और सुधार के लिए कदम उठाने और गाय और बछड़ों के वध पर रोक लगाने का कर्तव्य डाला है। जब कि गौ और उसके गोवंश रक्षा की जानी चाहिए क्योकि उनकी रक्षा और कल्याण लाखो भारतीय की आवश्यक धार्मिक प्रथा है, इसलिये भारतीय लोगों की गो और उसके गोवंश की सुरक्षा और संरक्षण हमेशा से एक सार्वजनिक मांग रही है और भारत के लोगों का धार्मिक भावनाओं को ध्यान रखते हुए स्वतंत्रता के बाद गो और उसके गोवंश के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का वादा किया गया था उक्त वादे लाखों लोगों की आस्था पर दसको से चोट मारी जा रही हैं उक्त वादे का पालन नहीं किया गया इसलिये धार्मिक छति हुए गोवंश को विभिन्न उदेश्यों के लिये मारा / काटा जा रहा जिससे भारत के लाखों करोड़ो लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही है, इसलिये भारत के लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं पर अब गंभीरता से विचार करते हुए किसी भी कारण गो और उसके गौवंश के वध । हत्या पर पूर्ण प्रतिषधे लगाने और गाय और उसके गोवंश के कल्याण के लिये किले जाने वाले उपायों का सुझाव देने और गाय और उसके वध के लिए मृत्युदंड सहित निवारक दंड और उसके संबंधित अनुषांगिक मामलों का प्रावधान करने के लिए एक अधिनियम चाहते है। उक्त अंदोलन हेतु ग्राम, नगर, जिला, स्तर पर गो सासंद द्वारा प्रतिनिधियों की नियुक्तियां भी वहुत तेजी कि जा रही है। एवं जन जन तक गो प्रतिष्ठा अधिनियम और गो माता हेतु आन्दोलन गो सासंद स्वामी आकर्षण जी महाराज के नेतृत्व में पहुंचाया जा रहा हैं 2025 तक जबलपुर लोक सभा में गो भक्त गो माता को राष्ट्र माता बनाने वाले ही प्रत्यासी को अपना मत देंगे ऐसा सपथ लेकर प्रत्येक गो दूत कार्य कर रहा हैं। उक्त अन्दोलन अनेकों संस्थान और संगठनों का सहयोग प्राप्त होने लगा है इस मौके पर, पौराणिक अ‌द्भुत विधा शोध संस्थान, जबलपुर व्लड डोनेशन सोसायटी, हम है न फाउडेशन, पंजाबी महासंघ, करणी सेना, सहित शरद विश्वकर्मा, रॉकी सेन, दीपक दिवेदी, राखिश अपेक्ष, एड. चन्चल श्रेयोलू’, मयंक अवस्थी, बंटी गो सेवक, सुरजीत बल्लू, मुन्नू सोनी, राजनंद सिंह, आशु त्रिपाठी आदि लोगो सहित पत्रकार वार्ता में मौजूद रहें

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