राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत नानाजी देशमुख वेटनरी सांइस यूनिर्वसिटी

रेबीज एक ज़ूनोटिक विष्णु जनित बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर बीमारी ग्रसित कुत्ते या अन्य जंगली जानवरों के काटने से फैलती है।

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राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत नानाजी देशमुख वेटनरी सांइस यूनिर्वसिटी जबलपुर महाविद्यालय में कार्यरत कर्मचारी एवं अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का ARV प्री-एक्सपोजर प्रोफायलेक्सीस टीकाकरण
रेबीज एक ज़ूनोटिक विष्णु जनित बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर बीमारी ग्रसित कुत्ते या अन्य जंगली जानवरों के काटने से फैलती है। रेबीज़ भारत में व्यापक रुग्णता और मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार है। यह बीमारी पूरे देश में स्थानिक है। अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह को छोड़कर, पूरे देश में रेबीज के मानव मामले सामने आते हैं। ये मामले पूरे साल भर होते रहते हैं। लगभग 96% मृत्यु दर और रुग्णता कुत्ते के काटने से जुड़ी है। भारत सरकार द्वारा जारी नेशनल एक्शन प्लान फार डाग मीडिएटेड रेबीज ऐलिमिनेशन (एनएपीआरई) दिशा-निर्देश अंतर्गत पशुओं के साथ सीधे संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों को उच्च जोखित समूह की श्रेणी में रखते हुये अनिवार्य प्री-एक्सपोजर प्रोफायलेक्सीस का उल्लेख किया गया है। बिगत 27 जून को नगर निगम कमिश्नर प्रीती यादव ने निर्देशित किया था कि रेबीज का टीका प्रमुख रूप से उन लोगो को जरूर लगना चाहिए जो सामान्य लोगो कि तुलना में रेबीज के लिए हाई रिस्क पर है जिनमे मुख्य रूप से पशु चिकित्सको का जिक्र किया गया जिन्हे प्रायः स्वानो के इलाज के लिए उनका सामना करना पड़ता है।
इसी क्रम नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्व विद्यालय के माननीय कुलपति डॉ सीता प्रसाद तिवारी के मार्गदर्शन में जिला स्वास्थ्य विभाग एवं पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय जबलपुर के संयुक्त तत्वाधान में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय मिश्रा एवं एवं पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशु पालन महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ आर के शर्मा के दिशा निर्देशन में जबलपुर महाविद्यालय के 77 वां स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में दिनांक 09 जुलाई 2024 को टीकाकरण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें महाविद्यालय में कार्यरत कर्मचारी एवं अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ARV प्री-एक्सपोजर प्रोफायलेक्सीस का टीकाकरण किया गया । ज्ञात हो कि एआरव्ही (ARV) प्री-एक्स्पोज़र प्रोफायलेक्सीस टीके प्रति व्यक्ति को 0, 7 एवं 21 दिवस में लगाए जाएंगे। समस्त लाभार्थी को टीकाकरण पश्चात् कार्ड प्रदाय किया गया।
डॉ संजय मिश्रा ने रेबीज बीमारी की विभिन्न अवस्थाओं एवं उनके लक्षणों के बारे में छात्र छात्राओं को बताया। रेबीज प्रबंधन के लिए बहुत से महत्त्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं जिसमे स्वानो कि जनसँख्या पर नियंत्रण करना सबसे प्रमुख है। स्वानो की नसबंदी (स्पे और न्यूटरिंग) को प्रोत्साहित कर उनके प्रजनन को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है। स्थानीय पशु चिकित्सालयों और एनजीओ के माध्यम से नसबंदी शिविर आयोजित किये जा सकते है। एबीसी (Animal Birth Control) कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कुत्तों की अनियंत्रित जनसंख्या को नियंत्रित करना और रेबीज जैसी बीमारियों को फैलने से रोकना है। समुदाय में कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाकर लोगों को कुत्तों की देखभाल और उनके नियंत्रण के उपायों के बारे में शिक्षित किया जा सकता है।
पालतू जानवरों को रेबीज के खिलाफ नियमित रूप से टीका लगबाना, जंगली और आवारा जानवरों के संपर्क से बचाव एवं रेबीज-प्रवण क्षेत्रों में सावधानी बरतना और वहां से बचने का प्रयास करना चाहिए। जिस स्थान पर काटा गया है, उसे तुरंत साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं। जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर की सलाह पर काटने के तुरंत बाद एंटी-रेबीज वैक्सीन की खुराकें शुरू करें एवं डॉक्टर के निर्देशानुसार पूरी खुराक का पालन करना चाहिए। समुदाय में रेबीज और उसके प्रबंधन के बारे में जागरूकता एवं बच्चों को जानवरों के साथ सुरक्षित व्यवहार के बारे में शिक्षित करें। पालतू जानवरों को बाहर छोड़ने से बचें एवं उन्हें नियमित रूप से पशु चिकित्सक से चेकअप कराएं।रेबीज एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही जानकारी और त्वरित उपचार से इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।
शिविर के सफलतापूर्वक संचालन में अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ आदित्य मिश्रा, पशु औषधि विभाग प्रमुख डॉ देवेंद्र गुप्ता,डॉ बृजेश सिंह, डॉ शशि प्रधान एनआरसीपी नोडल डॉ रणवीर सिंह जाटव, सहायक नोडल डॉ संजय शुक्ला, पीएचडी छात्र डॉ आदित्य प्रताप वहीं स्वास्थ्य विभाग की ओर से एम एंड ईओ श्रीया अवस्थी, डॉ सुलोचना पटेल, पाथ फाउंडेशन से डॉ फयीमुद्दीन मंसूरी, नर्सिंग ऑफिसर रोशनी अहिरवार एवं अंजना लोधी का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।

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