एक तो फ्लाइट नहीं, दूसरी तरफ ट्रेनों में वेटिंग
क्या करें क्या ना करें यह कैसी मुश्किल हाय
जबलपुर- इस समय शहर से अगर महानगरों की ओर जाना पड़े या फिर लंबी दूरी की यात्रा करना हो, तो ना तो यहां फ्लाइट है नाही ट्रेनों में जगह। मुंबई, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु, जैसी जगहों के लिए सिर्फ वेटिंग ही है। आखिर यह स्थिति क्या करें क्या ना करें ऐ कैसी मुश्किल हाय जैसी ही नजर आ रही है।
स्थिति इतनी अराजकता भारी हो रही है कि अगर महानगरों की अचानक यात्रा करना पड़ जाए तो कंफर्म टिकट तो छोड़िए वेटिंग की ही टिकट मिलेगी। लंबी दूरी की ट्रेनों में वेटिंग बढ़ती जा रही है। कंफर्म टिकट मिलने की कहानी कोई गुंजाइश नहीं दिखाई दे रही है। चाहे स्लीपर कोच हो या फिर एसी कोच हर जगह सिर्फ वेटिंग ही वेटिंग है। हालात यह है कि लोग तत्काल कोटा पर निर्भर होने की सोच रहे हैं, लेकिन दलालों ने स्कूटी को इस तरह अपने अंडर में लिया हुआ है कि तत्काल कोटे से टिकट मिलना सरल नहीं है। लंबी दूरी की ट्रेनों में ज्यादा लंबी वेटिंग लगी है इसकी वजह न सिर्फ यात्रियों की बढ़ती संख्या है बल्कि टिकट दलालों की वजह से भी यह वेटिंग बढ़ती जा रही है।
अतिरिक्त कोच लगे तो है फायदा- रेलवे अगर लंबी दूरी की ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगवाएं तो वेटिंग की समस्या से कुछ हद तक यात्रियों को राहत मिल सकती है। मुंबई पुणे बिहार बनारस कोलकाता की ओर जाने वाली ट्रेनों की जनरल डिब्बे में 100 से 150 तक यात्री भरे रहते हैं। सोचिए क्या हालत होती होगी इस तरह से यात्रा करने वालों की लेकिन आने जाने की मजबूरी भी है। पर जिम्मेदार है कि इस और जरा भी ध्यान नहीं दे रहे।