जबलपुर। हजरत ख्वाजा अमीनुद्दीन चिश्ती कचहरी वाले बाबा साहब का प्रसिद्ध शाही संदल जुलूस विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी अपनी पूरी शानो शौकत के साथ निकला। शाम 6 बजे नये मोहल्ले स्तिथ मरहूम चांद खा के मकान से रवाना हुआ। पूरे शहर मे मशहूर शाही संदल जुलूस की कयादत सज्जादानशीन बाबर खा बन्दानवाजी एवं ख़ादिमे आला चंगेज खान अशरफी ने की। शाही जुलूस मे सजे धजे ई रिक्शों पर हरे परचम लहरा रहे थे। तख्तियों पर बुजुर्गाने दीन के कौल व उपदेश लिखे हुए थे। बैंड बाजा, भांगड़ा, सजी हुई बघघीया जुलूस मे शामिल होकर रौनक बढ़ा रही थी। अक़ीदत मंद क़व्वालों पर नजराना लुटा रहे थे। शहनाई वादक नातिया धुनें पेश कर रहे थे। शेर की पोशाक पहने हुए कलाबाज भी जुलूस मे शामिल हुए। जुलूस मे शामिल सूफ़ी हजरात व सभी धर्मालम्बियों ने सद्धभावना और शांति का संदेश दिया। लगभग 1 किलोमीटर लम्बे मार्ग बड़ी ओमती, छोटी ओमती, पेशकारी, तहसीली चौक होते हुए जुलूस कचहरी दरगाह पहुँचा जहाँ परंपरानुसार मजार शरीफ पर चादर पोशी व गुल पोशी की गई। नजरों न्याज़ पेश करने के बाद तबरुख तक़सीम किया गया।
मलंग- जुलूस मे नागपुर के मशहूर कोड़े बरसाने वाले मलंग जनआकर्षन का केंद्र रहे। मलंग हजरात जब लहराते हुए कोड़े अपने जिस्म पर फटकारते तो लोग रोमांचित हो जाते । जुलूस मार्ग पर चलते हुए राहगीर भी मलंगो के कारनामे देख हैरत मे पढ़ गये।
क़व्वाली- हिंदुस्तान के मशहूर क़व्वाल रेहान अली साबरी ( मेरठ) 31 मई को रात्रि 10 बजे अपनी क़व्वाली पेश करेंगे। ख़ादिमे आला चंगेज खान अशरफी ने अक़ीदतमंदो से शिरकत की गुजारिश की है।