जबलपुर। शहर के नालों में गंदगी बजबजा रही है और नगर निगम का अमला अपने दफ्तरों में आराम की मुद्रा में है। वक्त पर नालों की सफाई न होना या बारिश में बड़ी परेशानी की आहट। हर साल नालों की सफाई के लिए लाखों खर्च होते हैं और हर बार बारिश के समय यही नाले सड़क पर आ जाते हैं। पब्लिक के टैक्स के धन से सैलरी पाकर अधिकारी-कर्मचारी जब जनता की मुश्किलें कम करने के लिए प्रयास नहीं करते तो जनता खून के आंसू रोती है।
-इन्हें भी होश नहीं
ये मान लिया जाए कि निगम के कर्मचारी लापरवाही बरत रहे हैं,लेकिन, ऊंचे ओहदों पर बैठे अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी रहस्यमय है। आखिर इनकी क्या मजबूरी है,जो नालों की सफाई जैसा काम भी ढंग से नहीं करा पा रहे हैं। बाद में यही अफसर और जनप्रतिनिधि नालों की सफाई के बिलों पर दस्तखत करेंगे। ये क्या खेल है,ये समझना बहुत मुश्किल नहीं है।
-सुरक्षा की भी जरूरत
ना केवल सफाई, बल्कि कई नालों की सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता करने की दरकार है। बारिश के दिनों में नालों में बहकर मर जाने के मामले भी सामने आते रहे हैं। ऐसे खतरनाक नालों की पहचान करके इन्हें सुरक्षित करने की योजना तैयार की जानी चाहिए। दरअसल,ये रोना हर साल रोया जाता है और हर साल ही कोई न कोई हादसा होता है और फिर सब कुछ शांत हो जाता है।