जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार करे, तब होगी समरस समाज की स्थापना
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ तनुजा चौधरी ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा समरसता हमारे जीवन का आधार, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और मानविक जीवन में समरसता का महत्व है,
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