bail in indian law – The Prapanch https://www.theprapanch.com India's Top News Portal Fri, 04 Oct 2024 17:59:48 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 https://www.theprapanch.com/wp-content/uploads/2024/04/cropped-Screenshot_9-32x32.jpg bail in indian law – The Prapanch https://www.theprapanch.com 32 32 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में जमानत से संबंधित उपबंधों की व्याख्याः https://www.theprapanch.com/explanation-of-provisions-related-to-bail-in-indian-civil-defense-code-2023/ https://www.theprapanch.com/explanation-of-provisions-related-to-bail-in-indian-civil-defense-code-2023/#respond Fri, 04 Oct 2024 17:59:48 +0000 https://www.theprapanch.com/?p=3707 जमानतीय अपराध से तात्पर्य ऐसे अपराध से है जिसमें जमानत अभियुक्त व्यक्ति का अधिकार होता है जबकि अजमातीयअपराध में जमानत देना न्यायालय का विवेकाधिकार होता है]]>

 

(2) अजमानतीय अपराध

● जमानतीय अपराध के मामलों में जमानत (धारा 478 )
जब कभी जमानतीय अपराध के अभियुक्त को पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार किया जाता है या वह स्वयं न्यायालय में हाजिर होता है और वह जमानत देने के लिए तैयार है तो न्यायालय द्वारा ऐसे व्यक्ति को जमानत पर छोड़ दिया जाएगा यदि कोई व्यक्ति निर्धनता के कारण जमानत देने में असमर्थ थे तो ऐसे व्यक्ति को न्यायालय उन्मोचित कर देगा
कोई व्यक्ति जो जमानती अपराध की दशा में 7 दिन तक जेल में बंद रहता है तब ऐसी दशा में यह माना जाएगा कि वह निर्धन है
● आजमानतीय अपराध की दशा में जमानत(धारा 480)
जब आजमानतीय अपराध के अभियुक्त व्यक्ति को पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार किया जाता है और उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता है तो मजिस्ट्रेट उसे जमानत पर छोड़ सकता है
किंतु यदि ऐसा व्यक्ति मृत्यु आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध का अभियुक्त है या 7 वर्ष या उससे अधिक अवधि से दंडनीय संज्ञेय अपराध के मामलों में पूर्व में दोष सिद्ध किया जा चुका है या 7 वर्ष से कम किंतु 3 वर्ष से अधिक अवधि से दंडनीय संज्ञेय मामलों की दशा में दो या उससे अधिक बार दंडित किया जा चुका है तब ऐसे व्यक्ति को मजिस्ट्रेट जमानत पर नहीं छोड़ेगा किंतु यदि उपरोक्त व्यक्ति महिला बालक या शिथलांग व्यक्ति है तो उसे जमानत पर छोड़ दिया जाएगा
यदि अभियुक्त को जमानत दिए जाने के लिए पर्याप्त आधार हैं तो सिर्फ इस कारण से कि अभियुक्त की आवश्यकता अन्वेषण के दौरान साक्षियो के द्वारा पहचान करने के लिए होगी या
प्रथम 15 दिन से अधिक की पुलिस अभिरक्षा ,के लिए हो सकती हैं तो केवल इसलिए कि अभियुक्त की आवश्यकता उपरोक्त आधारो के लिए है जमानत नामंजूर करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। अर्थात यदि जमानत देने के लिए आधार है तो उपरोक्त आवश्यकताओं के बावजूद भी अभियुक्त को जमानत पर छोड़ दिया जाएगा सामान्यतः विचारण कितनी अवधि के अंदर पूर्ण किया जाएगा इसके संबंध में संहिता में स्पष्ट प्रावधान नहीं है किंतु यदि मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय मामले में अभियुक्त का विचारण साक्ष्य के लिए नियत तारीख से 60 दिन के अंदर पूरा नहीं होता और उपरोक्त अवधि में अभियुक्त प अभिरक्षा में रहा है तब ऐसी दशा में उसे जमानत पर छोड़ दिया जाएगा
● अग्रिम जमानत (धारा 482)
अग्रिम जमानत के लिए आवेदन उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय में किया जा सकता है
जब किसी व्यक्ति को यह आशंका है कि उसे आजमानतीय अपराध के अभियोग में गिरफ्तार कर लिया जायेगा तब वह अग्रिम जमानत के लिए आवेदन सेशन न्यायालय या उच्च न्यायालय में कर सकता है अग्रिम जमानत देना या ना देना पूर्ण रूप से न्यायालय के विवेक पर निर्भर है

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