हजारों आंखों ने परिवर्तन की यात्रा देखी है
जैन दर्शन के अनुसार जैन मुनि अपने साथ संयम के दो उपकरण क्रमशः पिच्छी एवं कमंडुल रखते है प्रत्येक चातुर्मास के बाद उनका परिवर्तन होकर उन्हें नवीन पिच्छी श्रावकों के द्वारा प्रदान की जाती
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