भाजपा जिलाध्यक्ष का ऐलान फिलहाल होल्ड पर !

पार्टी के अनुशासन की पोल खुली, दिग्गजों के दबाव में संगठन, नाम तय होने के बाद फिर पलटा फैसला,

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भाजपा जिलाध्यक्ष का ऐलान फिलहाल होल्ड पर !
पार्टी के अनुशासन की पोल खुली, दिग्गजों के दबाव में संगठन, नाम तय होने के बाद फिर पलटा फैसला,
भोपाल में कार्यकर्ताओं का जमावड़ा,विरोध के स्वर भी उठे

जबलपुर। भाजपा के जिलाध्यक्षों के चयन में पार्टी के अनुशासन की धज्जियां उड़ चुकी हैं। कई नाम तय होने के बाद भी उनकी घोषणा नहीं की जा सकी है,बल्कि उस पर फिर से विचार किया जाने लगा है। ताजा खबर है कि जबलपुर भाजपा के जिलाध्यक्ष का ऐलान फिलहाल नहीं होगा,बल्कि इसे होल्ड पर रखा जाएगा,क्योंकि नेताओं का प्रेशर लगातार बढ़ता जा रहा है। हमेशा उम्दा प्रदर्शन करने वाला मप्र भाजपा संगठन अब जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में पिछड़ता नजर आ रहा है। तय समय सीमा पांच जनवरी तक अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पाई। वजह नामों पर सहमति नहीं बन पाना है।
-दिल्ली नहीं भेजी पूरी सूची
सूत्रों के मुताबिक दो जनवरी को रायशुमारी में 40 से ज्यादा जिलों पर सहमति बन गई थी। अब उसमें से भी कुछ जिलों में फिर विवाद शुरू हो गया है। इससे सूची अटक गई है। वहीं कई महत्वपूर्ण जिलों जबलपुर भोपाल, इंदौर,ग्वालियर, सागर, छिंदवाड़ा, सीहोर, टीकमगढ़, सतना और नर्मदापुरम जिलों की जानकारी आगे नहीं बढ़ाई गयी है,क्योंकि यहां विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
जिला अध्यक्षों को लेकर तीन दिन के भीतर दूसरी बार सत्ता और संगठन के बीच मंथन हुआ। इस दौरान सीएम डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद मौजूद रहे।
-हंगामे के पूरे आसार
2 जनवरी को करीब 40 नामों पर सहमति बनाकर सिंगल नाम तय कर दिल्ली भेजे गए। बताया जाता है कि 40 नामों में से भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे बड़े जिले गायब हैं। इसके बाद से उन जिलों पर जल्द सहमति बनाने के लिए दबाव पड़ा है और फिर सत्ता और संगठन के बीच मंथन का दौर शुरू हो गया है।इधर आशंका है कि कार्यकर्ता दो दिन से भोपाल में डेरा डाले हैं। संभावना थी कि छह की शाम तक तो सूची सामने आ ही जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सूत्रों के मुताबिक कई कार्यकर्ता इससे नाराज हैं। माना जा रहा है कि सूची में और देर हुई और पसंद के नेताओं को जिला अध्यक्ष नहीं बनाया गया तो कई कार्यकर्ता हंगामा खड़ा कर सकते हैं।
– दो दिग्गजों के अहं की लड़ाई
सूत्रों का कहना है कि जिलाध्यक्ष की नियुक्ति जबलपुर के दो दिग्गजों ने अहं की लड़ाई बना ली है। समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने इस आग में पर्याप्त घी डाल दिया है,जिससे आग तेजी से फैल रही है। दोनों दिग्गजों में से एक पीछे हटने को तैयार नहीं है और ना ही किसी की सुनने को तैयार है। हालाकि, दिल्ली से प्रेशर पड़ने पर जरूर कुछ हो सकता है,लेकिन तब भी बीच का रास्ता निकालना पड़ेगा। असल में ये माना जा रहा है कि जिस दिग्गज का जिलाध्यक्ष होगा, जबलपुर में उसे ही बड़ा माना जाएगा।

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