अवमानना याचिका में उठा सकते हैं थानाें के हनुमान मंदिर का मुद्दा
-हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता देते हुए किया जनहित याचिका का पटाक्षेप
अवमानना याचिका में उठा सकते हैं थानाें के हनुमान मंदिर का मुद्दा
-हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता देते हुए किया जनहित याचिका का पटाक्षेप
जबलपुर । हाई कोर्ट ने जबलपुर सहित राज्य के विभिन्न थाना परिसरों में स्थित हनुमान मंदिरों का विरोध करने वाली जनहित याचिका का यह स्वतंत्रता देते हुए पटाक्षेप कर दिया कि यह मुद्दा पूर्व वे विचाराधीन अवमानना याचिका में उठाया जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने साफ किया कि सार्वजनिक स्थलों में अवैध धर्मस्थलों के निर्माण को लेकर पूर्व में एक जनहित याचिका पर विस्तार से आदेश पारित किया गया था। जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अधिवक्ता ओपी यादव के अधिवक्ता सतीश वर्मा ने स्वयं जानकारी दी है कि उक्त मामले में आदेश का पूर्ण पालन न होने पर अवमानना याचिका दायर की गई थी, जो कि विचाराधीन है। चूंकि थाने के हनुमान मंदिरों का मामला भी उसी से संबंधित है, इसलिए अलग से सुनवाई नहीं की जा सकती।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सतीश वर्मा ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद जबलपुर सहित राज्य के विभिन्न थाना परिसरों में मंदिर निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने दलील दी कि इस याचिका में उन्होंने संबंधित थाना प्रभारियों के विरुद्ध सिविल सर्विस रूल्स के अंतर्गत कार्रवाई करने का मुद्दा उठाया है। इस मामले को लेकर कुछ हस्तक्षेप आवेदन भी पेश किए गए थे। विश्व हिंदू महासंघ विधि प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष अधिवक्ता सुरेन्द्र तिवारी की ओर से अधिवक्ता रविंद्र गुप्ता ने दलील दी कि थाना परिसरों में हनुमान मंदिर अतिक्रमण की श्रेणी में नहीं आते। इसके अलावा धर्मस्थलों संबंधी प्रकरण की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है। एक अन्य हस्तक्षेप याचिकाकर्ता सत्यम शुक्ला की ओर से अधिवक्ता ओमशंकर विनय पांडे व अंचन पांडे ने आरोप लगाया कि यह जनहित याचिका सनातनियों की आस्था को आहत करने वाली है अत: इसे निरस्त किया जाए।